लाईफ में मज़ा कब आयेगा

– आयेगा भी या नहीं

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
क्या आप भी भगवान से रोज़ यही पूछते हैं कि – लाईफ में मज़ा कब आयेगा? क्या आप के खुद के पास इसका कोई जवाब है? या आप सब भी उस इतेफाक का इन्तजार है जब वास्तव में अन्दर से मज़ा आयेगा। आज आयेगा, अभी आयेगा, कल आयेगा, साल भर बाद आयेगा या आयेगा भी या नहीं।
भले अमीर हो गरीब हो, पढा लिखा हो या अनपढ हो, या बच्चा हो या बडा हो सभी को इन्तजार है तो सिर्फ इस बात का कि लाईफ में मजा कब आयेगा। अगर आज किसी के पास जिन-अलादीन के चिराग वाला, होता तो वो भी उससे सबसे पहले ये ही मागंता कि मेरी लाईफ में मज़ा ले आओ? ‘जिन’ भी कन्फ्यूस हो जाता अगर जब उसके मालिक ने उससे कहा होता कि ज़रा ढूढं कर आओ कि मज़ा कैसा होता है और कहां मिलता है ? जिन ने बोला – मैं गरीब के सपने में गया तो वो भगवान से कह रहा था कि थोडा सा पैसा भेज दो मज़ा आ जायेगा। अमीर आदमी के ख्वाब में गया तो वो भगवान से कह रहा था पैसे को संभालने की टेंशन कम हो तो मज़ा आ जायेगा? बच्चे के सपने में गया तो वो बोला अगर मिठाई मिल जाये तो मज़ा आ जाये? वृ़द्ध आदमी के सपने में गया तो वो रहा था शुगर कम हो जाये तो मज़ा आ जाये? जिन भी बुरी तरह घबरा गया बोला- साला पता ही नहीं पड रहा लाईफ में मज़ा कैसा आता है? फिर वो एक साधारण से परिवार के घर में गया जहां उसने देखा हजार परेशानियों के बावजूद सभी सदस्य खूब मजे़ कर रहे थे। उसने परिवार के मुखिया से पूछा आप बताईये लाईफ में मज़ा कैसे आता है? वो झट से बोला जिन भाई सिर्फ सन्तोष ही है जिससे लाईफ में मजा आता है। मज़ा और कुछ नहीं मन के सन्तोष को ही मज़ा कहते हैं। जो हमारे पास से उसमें आनन्द मनाने को ही मज़ा कहते हैं। परिवार की खुशियों का नाम ही मज़ा है। मज़ा तो सदैव हमारे जीवन में ही है हमें सिर्फ उसे महसूस करना आना चाहिये।
मेरी सलाह के हर्षोल्लास से, आनन्द से, सन्तोष से, और सब के साथ मज़े करे। रोज़, हर पल, हर घडी मज़ा ही मज़ा है बस शर्त यह है कि आपको लाईफ में मजे़ करने आने चाहिये। घुट घुट के जीना है तो आपकी मर्जी…….

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