अभी दो दिन भी नहीं हुए, एक बड़ी खबर से रूबरू हुए की,सुदूर पूर्व के एक छोटे से देश ‘उत्तर कोरिया ‘ ने हाइड्रोजन बम बनालिया है। बताया जा रहा है यह एटम बम से भी कई गुना ज्यादा घातक है।
एक ही बम से अमरीका नेस्तनाबूद हो सकता है।इधर खबर यह की पकिस्तान के पास भी हाइड्रोजन बम है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की बंदिशों और चेतावनियां धरी रह गई । अगले ने नजर बचाकर कर ही डाला काम।कहते है चीन की शह पर हुआ सब।फिलहाल राजनैतिक – कारणो पर हम चर्चा नहीं कर रहे है।
इधर एक कहती सी खबर ये की, बीकानेर के छतरगढ़ के सत्तासर ग्राम में एक टायर पंक्चर बनाने वाले ने अपनी केबिन में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री ही खोल ली । हथियार के कलपुर्जों के साथ पुलिस ने उसे धर लिया है।अब उसके संपर्क तलाशेजा रहे हैं। यह भी सही है ,ये जानते हुए भी की, यह कारोबार अवैध है लेकिन देश भर में कुछ ख़ास जगहों पर यह गैर कानूनी धंधा घरेलु उद्योग की तरह पनपाया जाता रहा है, किन्तु नजरें बचा कर ही।यानी चोरी छुपे
बात जब चल ही निकली है ,तो बतादे कि, कुछ धंदे बाज है जो हर शहर गांओं में मिल जाएंगे जिनका काम ही भोले भाले या जरूरतमन्दो को सरकारी और खास जमीनों पर कब्जे कराकर घर बनाने कालोनियां तक काट देने से परहेज नही करते।
बाद मे चाहे कोई रोए या मरे इनका क्या ? बचाली नजरे बस ।
अभी ताजा ही समाचारों मे देखने को मिला कि, लोगों को रसोई गैस सिलेंडर्स में डेढ किलो तक गैस कम मिली है। लेकिन सच यह है कि इस कारोबार का नैटवर्क बहुत बड़ा है। कालाबाजारी तो आम बात है ही । इस गोरख धंधे में हजारों रुपये के वारे न्यारे यहां ‘नजरें बचाकर’ ही हर दिन होते है।जब जब ऐसी घटनाए सामने आती हैं पकड़ मे आते है छुटभैये ही ।
अब चूकि बंटवारा ऊपर तक होता है तो हाथ डालें तो कैसे ?
इधर ख़ास बाजारों में थड़ियां और ठेलेवालों ने कब्जा जमाये अतिक्रमण को एक धंधा बनालिया है। पहिये लगे ठेले अंगद के पाँव की तरह दिन भर एक ही जगह डटे दिखते हैं । कोई किसी की सुनता नहीं है।वाहनो की आवाजाही रुके तो रुके , उनकी – बला से ।ये अतिक्रमणं यदा कदा ही हटाए जाते है दो एक दिन के लिए ।चूकि वसूली का खेल ही न्यारा है।
सम्बधित थाने चौकियो से लेकर निगम के कारिन्दों तक का हाथ इनकी पीठ पर होता है । नजरें बचाकर ही ।
स्वर्णाभूषणों की दुकानों पर पर आते कुछ लोग देखते देखते हाथ की सफाई नहीं दिखा जाते नजरें बचाकर ही। ये तो भला हो उन सी सी टीवी कैमरों का जो पकड़वा दे रहे हैं। चोरों की तस्वीरें भी कैद हो रही है नजरें बचाकर ही । मगर लोभ है की संवारा नहीं जाता ?
एक मर्तबा ट्रैफिक सिपाही की तस्वीरें आई थी वो कैसे वाहनों की चेकिंग या रोक के इशारे पर चलते वाहनों से किस कदर हाथ की सफाई दिखाते नोट इस हाथ से उस हाथ ट्रांसफर हो जाते हैं। नजरें बचाकर ही तो ।
ताजाताजा पता चला है की , कश्मीर के अनंत नाग में एक सिपाही नजरे बचाकर ही एक नहीं चार एके 47 राइफ़लें — लेकर फरार हो गया है। सिपाही के फोटो शाया किये गये हैं। यानी विश्वासघात ।
कई लोग बिजली के तारो पर जम्फर डाल देते है। नजरे बचाते ।कोई पानी चुरालेते है । तो कोई तेल लाईन मे ही सैध लगा डालते हैं नजरे बचाकर ही
तेल का खेल भी बड़ा जोरदार है। दुनिया भरमे कीमते गिर जाने के बावजूद भी देश की कथित तेल कम्पनियां राहत के नाम पर ठेंगा ही दिखाती है।
लाभ सरकारे और ये उनकी बनाई कम्पनियां ही पी जातीं हैं। पेट्रोल पुंपों का हाल यह की, माप ही में कम निकलता है तेल।हर रोज नजरें बचाते नजरों के सामने ही ऐसा होता है। कहते है, बून्द बून्द से घड़ा भारत है । यहाँ इन पम्पों के टैंक ही नहीं भर रहे ?
सरकारी विभाग , पानी 15 दिन बिल 30 दिनों का। कसूरवार ठहरता है बेचारा मीटर ? बिजली के भाव पतंगो की तरह आसमान की ओर तो बिलो के झटके खुद बिजली के करंट सरीखे। सब कुछ नजर बचाते नही होता रहता ?
पहले कभी जादूगर ही अपने हाथ की सफाई यानी नजरें बचाकर स्टेज पर कुछ करामात दिखाते थे
लोग तालियां बजाकर स्वागत करते थे। किन्तु कुछ लोग अब तो कही भी दिखा जाते है खेल ।महारत हासिल करली है। स्टेज पर का हाथी ही नहीं वे अब कही भी कुछ भी गायब कर सकने का हौसला लिए जो फिरते हैं?
पैसे की वैल्यू बढ गई है , और ईमान की नित घटती जा रही है। इसीके चलते माहिर हो गए है कुछ लोग । अब संत कितनी ही सीख दें, और चैनलो पर कितने ही प्रवचन हों सतसंग हो आदमी इस कान से सुनकर दूजे से बाहर किए दे रहा है। ये जो धन्धेबाज हैं और जिनके मुंह एक बार खून लग गया है वो कहां
बदलने वाले है ।अब आप एटीएम पर हो चाहै राशन की दुकान पर ध्यान रखे कहीं भी कट सकती है ‘जेब’ ! यो कहने को कैरोसिन उपलब्ध नही मगर खुले बाजार मेंहै 70 से 80 रुपये लीटर । नाम बदल कर तारपीन।
बचा ली नजरें । बस ।
जैसा कि श्रीमद्भागवत मे कहा गया है ,” जितने से – आदमी का पेट भरे उतने पर ही उसका अधिकार है। जो इससे अधिक एकत्र करता है ,वह चोरी है।” इस बात को भी मानने वाला आज कोई बिरला ही होगा ।
