राज्य सरकार द्वारा पाठ्यक्रम में ये बदलाव किये गए परन्तु राज्य के किसी भी समूह के साथ कोई चर्चा व संवाद किये बगैर किये गए. इस प्रकार से देश के लिए किये गए महत्वपूर्ण जन आन्दोलन के हिस्से को हटाया जाने से मकसद साफ़ नजर आ रहा है कि सरकार और उसमें बैठे लोग इस देश और राज्य के इतिहास को ही मिटा देना चाहते है जिससे नई आने वाले पीढ़ी को कुछ पता ही नहीं चले.
मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुडी सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय एवं अन्य द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस प्रकार सत्ताधारी पार्टी द्वारा निरंकुश और अनियंत्रित बदलाव् को तुरंत रोके जाने एवं एक स्वतंत्र प्रक्रिया शुरू किये जाने जिसमें अकादमिक लोगों के बीच बहस और उसके बाद पाठ्क्रम में कोई बदलाव यदि जरुरी हो तो लाये जाएँ की मांग की है.
ये बदलाव सत्ताधारी पार्टी द्वारा अचानक से किये हैं कुछ समय पहले ही स्कूली पाठ्यक्रम बदला गया था जिससे नए पाठ्यक्रम पर बहुत खर्च होगा और पुरानी किताबों को रद्दी में बेचना पड़ेगा जिसकी बजह से राज्य को करोड़ों का घाटा भी उठाना पड़ेगा.
अभियान द्वारा मुख्यमंत्री महोदया को पत्र लिखा जा रहा है जिसमें राज्य के पाठ्यक्रम में इस प्रकार किये जा रहे बदलावों को तुरंत रोके जाने और एक स्वतंत्र पाठ्यक्रम नियामक आयोग बनाये जाने की मांग की जा रही है. साथ ही राज्य के संसाधनों को बर्बाद किये जाने पर सम्बंधित लोगों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की जा रही है.
अभियान द्वारा सूचना के अधिकार के तहत शिक्षा विभाग से सूचना मांगी है कि नए पाठ्यक्रम पर कुल कितना रूपया खर्च किया जा चुका है और कितना और किया जायेगा साथ ही जो हाल ही में नई पाठ्यपुस्तकें छपवाई गई हैं उन पर कितना खर्च हुआ और जिन लोगों ने नई पाठ्य पुस्तकों का निर्माण किया है वे लोग कौन है और उन पर सरकार द्वारा कितना खर्च किया गया है. विभिन्न जानकारियां शिक्षा विभाग से मांगी गई हैं.