हौसले को सलाम…

पति- बच्चों की मौत के बाद भी नही मानी हार, गरीब महिला नि:शुल्क दे रही सिलाई प्रशिक्षण।

पीड़ित महिला काली चुन्नी वाली है शंकूतला प्रजापति
पीड़ित महिला काली चुन्नी वाली है शंकूतला प्रजापति
फ़िरोज़ खान बारां, कोटा न्यूज । विधवा- ग़रीब होने के बाद भी एक महिला पिछले कई सालों से रोजाना 2 घंटे करीब 20-25 महिलाओं, युवतियों, बच्चियो को नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण दे रही है। कोटा गीता भवन के पास झोपड़ी में निवास करने वाली ग़रीब महिला शंकूतला प्रजापति अपनी शारीरिक कमज़ोरी एवं तंग हाल की परवाह किए बिना निरन्तर समाज सेवा व सिलाई प्रशिक्षण देने में लगी हुई है। गरीब, ख्सताहाल में भी अपने हौसले से अपनी कला के ज़रिए कही महिलाओं को नि: शुल्क सिलाई सिखाने वाली महिला शंकूतला प्रजापति 58 साल की है। शंकूतला कई सालों से कोटा में अपनी बुआ के ज़रिए मिली पारिवारिक सम्मति में झोपड़ी पर निवास कर रही है, शंकूतला के पति एवं बच्चे एक बड़ी घटना के शिकार होने के कारण अब इस दुनिया में नही है। फिर भी महिला ने खुद को टूटने ना दिया हर हालात, मुशिकल दौर का साहस से सामना किया है, शंकूतला की कहानी बहुत ग़म एवं दुखो भरी है परन्तु साहसी जाँबाज महिला अपने हौसलों के दम पर अब भी कला के ज़रिए कई घर रोशन कर रही है। महिला ने साबित कर दिखाया की कला के आगे सब पस्त पड जाते है।
फ़िरोज़ खान
फ़िरोज़ खान
धीरे – धीरे शंकूतला ने मोहल्ले पड़ोस की मदद व अपनी मेहनत से सिलाई मशीने ख़रीदकर महिलाओं व युवतियों को नि:शुल्क सिलाई देने लग गयी आज शंकूतला के पास 48 महिलाएँ, युवतियाँ, बच्चिया सिलाई सीख रही है। बुज़ुर्ग महिला शंकूतला पीड़ित होने के साथ- साथ शोषित भी है। एेसे में सरकार से भी शंकूतला ने कही बार न्याय की गुहार लगाई है, परन्तु कोई पीड़ित की सुनने को तैयार नही है।
– 51 हज़ार देने की धोषणा
महिला शंकूतला प्रजापति ने अपनी सम्मति में से कुछ हिस्सा बेचान करके दिली मन की ख़्वाहिश है कि ग़रीब अनाथ बच्चों की अच्छी परवरिश हो उसके लिए 51 हज़ार रुपये एक सामजिक क़ायकमं के माध्यम से देने की घोषणा भी की है। घोषणा के बाद से कही सामाजिक संगठनों ने शंकूतला का साथ व सिलाई प्रशिक्षण में सरकारी सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है।
महिलाओं की ज़ुबानी….
1- लक्ष्मी पटवारी ( सिलाई सिखने वाली महिला )
शंकूतला आंटी के पास में करिब 4 साल से सिलाई सिख रही हूँ, इस कला के ज़रिए में अब खुद भी आस- पड़ोस की महिलाओं के कपड़े सिलकर अपनी आजीविका चला रही हूँ। बहुत खुब सिखने को मिलता है।

2- कल्पना देवी ( सिलाई सिखने वाली महिला )
नि:शुल्क में आंटी जी ने मुझे जो हुनर सीखाया है, इनकी सिलाई कला से में बहुत प्रभावित हुई हूँ। में व मेरी बेटी दोनो आंटी जी से सिलाई सिख रही है। इनकी इस कला से हम महिलाओं को बहुत बडा हौसला मिल रहा है।

3- पिंकी कुमारी ( सिलाई सिखने वाली बच्ची )
मेरा ये अनुभव है में 8 साल की हूँ ओर अब आंटी जी से सिलाई सिखकर में अपनी मम्मी के ब्लाउज़ सिल लेती हूँ। आंटी जी बहुत प्यार व अच्छे से सिलाई सिखाती है ओर तो ओर पैसे भी नही लेती है।

— शंकूतला प्रजापति ( सिलाई सिखाने वाली पीड़ित महिला )
में ये सब केवल समाजसेवा के लिए करती आ रही हूँ। महिलाएँ जागरुक होगी व खुद कमाकर खा सके बस यही सोच है मेरी, साथ ही महिलाओं को इस कला के ज़रिये कही बड़े मुक़ाम व घरेलू हाथ खचें भी चलते रहते है। में चाहे कितनी पीड़ित रहूँ परन्तु जनसेवा करती रहूँगी।

error: Content is protected !!