दूसरी बात जो परिवार आयकर दाता है क्या इन्होंने अपने गरीब भाइयो के लिए आरक्षण की सुविधा का त्याग किया क्या ?
कभी नही ये केवल किसी पिछड़े और दलित पर कोई अत्याचार होता है तो वास्तविक पिछडो व दलितों के नेता के रूप में उभर कर आते है और अत्याचार पर रोने के अलावा समाधान की बात भी नही करते है चिल्लाते है हमारा सदियो से शोषण हो रहा है ।
अब तो आजादी के बाद पिछड़े को सरकार ने रोजगार के कितने अवसर प्रदान किये है ये शताब्दी भी अपने आखरी पड़ाव पर हैं फिर भी सदियो के शोषण पर घड्याली असू बहा रहे है परन्तु अपनों के लिए त्याग करके मिलने वाली छूट को नही छोड़ना चाहते और इन आरक्षित सीटों की संख्या को ये वर्ग ही खा जाता है अपने से पिछड़े व दलित के लिए स्वार्थ का त्याग नही कर सकते मगर आने वाले दलित और पिछडो की संतानें अति-सम्पन्न दलित व पिछडो से अपना हक जरूर मांगेगी ।
महेंद्र सिंह भेरुन्दा

इस समस्या का उचित समाधान यह है कि आरक्षण को क्रीमी लेयर एवं गैर क्रीमी लेयर में विभाजित कर दिया जाय. सदियों स्े जिन्हें हम धर्म की आड मे पीछे रखते आए है उन्हें कुछ तो सुविधा देनी ही होगी.