हमारी अधूरी कहानी….

रश्मि जैन
रश्मि जैन
यकायक इतने वर्षों के बाद तुम्हे उस दिन देखा तो यकीं नही हुआ कि आसमानी साड़ी और गहरे नीले रंग का ब्लाउज़ पहने तुम ही हो..बीते वर्षों का कोई पल, कोई क्षण नही था जब मैं तुम्हें विस्मृत कर सका था..और तुम्हें देखकर उस दिन मुझे याद आ गए बचपन के वो दिन जब मैं तुम्हारे घर पर तुम्हारे भाई के साथ कैरम खेलता था..और तुम एकदम कही से आकर सारी गोटियां बिगाड़ देती थी और फिर एकदम भाग जाती थी…
पता नही था कुछ भी ऐसा क्यूं होता है किसलिए होता है पर हर वक़्त तुम्हे देखना.. तुम्हे सोचना अच्छा लगता था..तुम्हारे चेहरे पर विद्यमान तुम्हारी चिरपरिचित मुस्कान बहुत लुभाति थी मुझे..सब तुम्हें गुड़िया कहते थे तुम गुड़िया ही तो थी…
तुम्हे पता भी नही होगा कि एक दिन जब तुम साइकिल से स्कूल जा रही थी और मैं अपनी साइकिल से तुम्हारे पीछे पीछे जा रहा था..तुम्हारा बालों में बंधा नीले रंग का रिबन खुल कर गिर पड़ा और वो रिबन मैंने अभी तक संजो कर रखा है अपने पास…
और उसी दिन से मुझे सब रंगों से नीला रंग सबसे ज्यादा सुन्दर और प्यारा लगने लगा और हां तुम्हे तो ये भी नही पता होगा कि जब तुम रोज़ सुबह नहा कर बालकनी में अपने बाल सूखाने आती थी तो मैं नीचे खड़ा तुम्हारे बालों से टपकी बूंदों को अपने हाथों मे समेट लिया करता था..मैंने कभी नही कहा तुमसे कुछ भी..बहुत चाहा कि कह दूँ ..एक बार ही सही कि तुम मुझे अच्छी लगती हो पर यूँ ही वक़्त बीतता गया न मैं कुछ कह सका और न तुम कुछ कह सकी…
फिर एक दिन ऐसा आया जब एक राजकुंवर मेरी गुड़िया को डोली में अपनी बना कर ले गया और मेरे पास रह गया सिर्फ तुम्हारा रिबन और एक उम्मीद..कि तुम मिलोगी जरूर मुझे एक बार और जब मिलोगी तब तुम्हे सब कुछ कह दूंगा और हां देखो..भगवान ने मेरी सुन ली व आज तुम मेरे सामने हो और मैं ये ख़त तुम्हारे रिबन के साथ देकर जा रहा हूँ..
तुम्हे जो कभी नही कह पाया आज कह दिया और बस एक बात मान लेना मेरी.. सुबह जब अखबार में तुम मेरे बारे में पढ़ोगी तो मुझे आखिरी बार देखने आ जाना.. मेरी अधूरी कहानी को पूरा होते देखने के लिए
हां……
आज पूरा करूंगा वो वादा जो मैंने खुद से किया है..कहते है ज़हर खाकर मरने से शरीर का रंग नीला हो जाता है तुम्हें नीला रंग बहुत पसन्द है न…..
आज तक तुमसे कुछ नही माँगा..बस मुझे देखने आ जाना आओगी न…??? गुड़िया!!!!!!
एक अजनबी दोस्त
अपने इस अजनबी दोस्त की कहानी ने मुझे अंदर तक झंझोड़ कर रख दिया..जब मैंने ये कहानी पढ़ी तब तक मैं अपने इस दोस्त के बारे में कुछ खास नही जानती थी.. बस एक दो बार ही मिलना हुआ था लेकिन जब मैंने ये कहानी पढ़ी तो मुझे खुद में कहानी की नायिका नज़र आने लगी.. और लगा जैसे कहानी का मुख्य पात्र खुद उन सारे वाक्यात से अंजान रहा जो नायिका जानती थी..कहानी को पढ़ते वक़्त मेरे आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे.. नायक और नायिका एक दूसरे को जानते हुए भी अनजान ही रहे और अपने मन की बात एक दूसरे को न कह सके और नायक का इस तरह अपने जीवन को समाप्त कर लेना मुझे किसी भी तरह गवारा न हुआ और उसी वक़्त मेरे दिमाग में इस कहानी ने जन्म लिया और वो भी सिर्फ चंद मिनटों में…
उम्मीद है आप सभी को पसन्द आएगी ( इससे आगे- अगले अंक में )
– रश्मि डी जैन
नयी दिल्ली

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