ऐ मेरे भारत क्या हो गया तेरे संवेदनशीलता को । मात्र चंद पेसो के लिए इन्शानियत को शर्मशार होना पड़ा और मात्र कुछ घंटे के बाद शर्मशार करने वाली एक के बाद दूसरी घटना और सामने आ गई ।
अभी 12 किलोमीटर पत्नी का शव कंधे पे लाद कर पैदल अपने गाँव जाने का मामला ठंडा भी नहीं हुवा की यह एक और घटना ओडिसा में ही और घट गई । यह घटना भी तब हुई जब एक शव का पोस्ट मार्टम करने के लिए शव की रीढ़ की हड्डी तोड़नी पड़ी ।
ये केसी व्यवस्था हे और कैसा समाज हे और कैसा पजातंत्र हे समाज नहीं आ रहा । मात्र चँद पैसे जिन पेसो का पेसो वालो की दुनिया में कोई महत्व नहीं केवल चाय नाश्ते और एक समय का खाने पर उससे भी कही ज्यादा खर्च हो जाता हे । जितनी उन जरुरत मंदो को उनकी जरुरत थी ।
सरकारी व्यवस्था के साथ साथ आम आदमी की संवेदन शीलता को भी माफ़ नहीं किया जा सकता जो की फोटो और वीडियो बनाने में मशगूल थे और जो उनकी मज़बूरी भी समझ ना सके, मीडिया भी अपनी जवाबदारी को समझ नहीं पाया ।
सोचने वाली बात:-
क्या पुरे 12 किलोमीटर के मार्ग में जिसमे वो पैदल शव को कंधे पे लाद के अपनी रोती हुई बेटी के साथ चला जा रहा था / उसे एक भी दयालु इंसान नहीं मिला जो मानवता का परिचय दे सके । धिक्कार हे उन लोगों पे जो दान धर्म के नाम पे मोटा चन्दा दान में देकर अगले दिन के अखबार में फोटो का इंतजार करता हे ।
हेमेन्द्र सोनी @ BDN ब्यावर
