दिनोदिन सशक्त होता जा रहा है
मेरी कविताओं में उभर कर आ रहा है ये प्यारा सा अहसास
बीते हुए लम्हें याद दिलाते है तुम्हारी
खुद से शर्माने लगी हूँ
हर पल एक सुखद अहसास महसूस करती हूँ
जानती हूँ हमारा प्यार महज शारीरिक आकर्षण नही है उससे बहुत आगे है
तुम्हारा साथ मुझे आकर्षित करता है
तुम्हारे साथ एक अजीब से सुख का अहसास होता है
तुम्हारा स्पर्श मुझे रोमांचित कर देता है
मन करता है तुमसे हर वक़्त बातें करती रहूँ
नही मालूम ऐसा क्यूँ हो रहा है
महज़ दोस्ती से हुई शुरुआत आज प्रेम में तब्दील हो चुकी है
हां मुझे ये कहने में कोई संकोच नही मुझे तुमसे प्यार है
स्वीकार करती हूँ तुम्हारे प्रति अपनी मुहब्बत को
तुम भी मुझे उतना ही प्रेम करते हो न जितना कि मै तुम्हें
कहो न तुम्हे भी मुझसे मुहब्बत है
कहो न प्रिय
बस एक बार तुम्हारे मुख से सुनना चाहती हूँ
कहो न बस.. एक बार..
बस एक बार..
तुम्हे भी मुझसे प्रेम है…
– रश्मि डी जैन
नयी दिल्ली