मच्छर से मजबूर हम भारतीय ?

sohanpal singh
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हमारे उपमहाद्वीप का एक छोटा सा देस जिसकी कल्चर भी हमारे ही देश जैसी ही है, श्रीलंका उसने विश्वस्वास्थ संघठन की सहायता से मलेरिया पर काबू पा ही लिया है ? लेकिन हम एक विशाल देश और भरपूर संसाधन के होते हुए भी मच्छर जनित मलेरिया, पर तो काबू नहीं पा सके परंतु दो और बिमारीयों , डेंगू और चिकनगुनिया को अपने गले लगा चुके है जिस कारण से भारत केनिर्बल और लोअर मिडिल क्लास के लोगो का जीवन ही दुर्लभ हो गया है ? इस मच्छर जनित बिमारी की भयावता का पता इससे ही चलता की दिल्ली विकसित आधुनिक देश की राजधानी है वहां भी दर्जनों लोगों की मौत चिकन गुनिया से हो गई , लेकिन बहुत अजब स्थिति है नगर पालिकाएं दिल्ली सरकार की अकर्मण्यता का आरोप लगाती हैं दिल्ली सरकार केंद्र की सरकार पर अकर्मण्यता का आरोप ट्रान्सफर कर देती है ? मच्छर मस्त हो कर बीमारियां फैला रहे हैं । प्रादेशिक सरकारे अपना अपना पल्लाझाड़ लेती हैपिछले आंकड़े देकर ? एक्सपर्ट लोग कहते है जब तक टेम्परेचर 22डिग्री पर नहीं आता मच्छरों का प्रकोप ऐसे ही चलता रहेगा ? लेकिन जनता परेशान है घर से एक मरीज डॉक्टर के पास लाते है घर वापस पहुचने पर दूसरे को फिर डॉक्टर के पास लेकर दौड़ते है सरकारी अस्पताल का तो हाल ही बेहाल है गली मोहल्ले के डॉक्टरों के यहाँ लंबी लाइने लगी है? पर बड़ा अजीब लगता है जब 7 रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया जाता है । हम अनुरोध करते है कि भारत सरकार मच्छर का नाम बदलकर यमदूत कर दे तो जनता को ये तो मालूम हो जायेगा की अब उसे ऊपर ही जाना है ?

एस.पी.सिंह, मेरठ।

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