कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है

राजेन्द्र सिंह हीरा
राजेन्द्र सिंह हीरा
देश की साधारण जनता किसी भी क्रिया की त्वरित प्रक्रिया चाहती है और ऐसा स्वाभाविक भी है। इसका सरकार पर दबाव भी पड़ता है , पर सरकार के लिए यह इतना आसान नहीं होता है। कोई भी कदम उठाने से पहले उसे दसों दिशाओं में सोचना पड़ता है। आजकल देश में चीन के ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को रोकने और अज़हर मसूद को आतंकी घोषित करने पर उसके द्वारा किये गये वीटो पर रोष है। इसके लिए चीन से निपटने के लिए सरकार पर जनता का दबाव भी है। आज के युग में जब पारिवारिक रिश्ते भी स्वार्थ की बिनाह पर टिके हुए हैं तो देशों के अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। ऐसा नहीं है कि चीन अज़हर मसूद को आतंकी घोषित करना नहीं चाहता।उसका मन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने का भी नहीं है , पर भारत का साथ देने के लिए उसे इसकी कीमत चाहिए।
ऐसे में भारत को चाहिए कि वह एक तीर से दो निशाने लगाए। भारत चीन को पाक से गुजरने वाले कॉरिडोर में सहयोग करे इस शर्त के साथ कि इस कॉरिडोर का प्रयोग केवल भारत और चीन साझा तौर पर करेंगे और पाकिस्तान का इससे कोई लेनादेना नहीं होगा। दूसरे चीन पाकिस्तान से दूरी बनाए रखने के साथ अज़हर मसूद को भी आतंकी घोषित करेगा।
इसके लिए चीन सहर्ष मान भी जायेगा क्योंकि pok कॉरिडोर में चीन का बहुत सारा पैसा लगा है और वह जनता है कि बगैर भारत के सहयोग के उसका प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सकता। यह कूटनीति है।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
जयहिन्द

राजेंद्र सिंह हीरा , अजमेर।

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