झाँकी हिंदुस्तान की ।
थोड़ी साथ लिए चलता हूँ ,
माटी राजस्थान की ।
माथे पर इसको मलता हूँ ,
तन शीतल हो जाता ।
और लगाता सीने से जब ,
मन निर्मल हो जाता ।
जिसको संग रखने से होती ,
अनुभूति भगवान की ।
थोड़ी साथ लिए चलता हूँ ,
माटी राजस्थान की ।
इसमें माँ की मीठी लौरी ,
और पिता का साया ।
मीरा के भजनों की लहरी ,
रामदेव की माया ।
ख़्वाजा की है पावन धरती ,
श्रद्धा हर इंसान की ।
थोड़ी साथ लिए चलता हूँ ,
माटी राजस्थान की ।
पौरुष की जब बात करें तो ,
छवि प्रताप की आती ।
आज़ादी के रखवाले हम ,
कण-कण हल्दीघाटी ।
कथा-कहानी मिल जाएगी ,
घर-घर में बलिदान की ।
थोड़ी साथ लिए चलता हूँ ,
माटी राजस्थान की ।
-नटवर विद्यार्थी
9414548148