दो जुड़वां बहने

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
दो जुड़वां बहने थी । हुई तो दोनों एक साथ व एक ही नक्षत्र में ,किन्तु एक मॉ की गोद में रहना उचित समझती थी, तो दूसरी आस – पड़ोस में । एक मॉ का दूध पीकर ऐसे बढ़ने लगी जैसे षुक्ल पक्ष का चन्द्रमा बढ़ता है, तो दूसरी डब्बे का दूध पी -पीकर ऐसे बढ़ने लगी जैसे बालीवुड की बाला खिलती है ।

मॉ की गोद में रहने वाली को मॉ -बाप ,दादा -दादी, नाना-नानी के संस्कार मिले तो दूसरी को परिवार के संस्कार नहीं मिले वरन उसे अडोस -पडोस में दिन रात टी0व्ही0 चैनलों पर विदेषी सीरियल देखने से पाष्चात्य हवा लगने लगी। धीरे – धीरे घर में रहने वाली घर में लजाने लगी तो बाहर रहने वाली सारे देष ही नही पष्चिम में भी सर उठाने लगी । अवार में घूमते -घूमते उसका आवारा होना स्वाभाविक ही था।

दोनों ही अपने अपने पालन पोषण के अनूकुल अपने -अपने क्षेत्र में उंचाईयों को छूने लगी । एक ने संस्कारों से बाहर कोई कर्म नहीं किए तो दूसरी ने बेषर्मी की हद के अन्दर कुछ कर्म नहीं किए । एक के कपड़े दिन पर दिन बढ़ते नाप से सिलते गए तो दूसरी के कपड़े दिन पर दिन उत्तरोत्तर घटते गए ।
आप जान गए होंगें ये वही बहने हैं, जिन्हे आदि काल से संस्कृति व विकृति के नाम से जाना जाता है।

हेमंत उपाध्याय, व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार
साहित्य कुटीर, गनगौर साधना केन्द्र
पं0 रामनारायणजी उपाध्याय वार्ड क्र 43, खण्डवा 450001
94250862486 9424949839
gangourknw@gmail.com fb hemantgangour17@gmail.com

error: Content is protected !!