महज इंसान

भंवर मेघवंशी
भंवर मेघवंशी
पैदा होना
तुम्हारी जाति
धर्म व देश में
मेरे वश की
बात ही कहां थी ?

मेरा चयन
नहीं था ये
जानता हूं
यह सिर्फ
संयोगवश ही
हुआ होगा
फिर इन पर
गर्व कैसा ?

जाति की जकड़न
धर्म की अकड़न
देश की सिकुड़न
सुहाती नहीं मुझको.

स्वदेश
स्वधर्म
स्वजाति जैसे
भारी भरकम शब्द
लगते है
बोझ से.

मैं दिल से
चाहता हूं कि
खुद को मुक्त
कर लूं इनसे.

कृपया
आप भी
काट दे नाम मेरा
अपनी जाति
धर्म और देश की
लिस्ट से.

मैं रहना
चाहता हूं
महज एक
इंसान बनकर .

-भँवर मेघवंशी
(स्वंतत्र पत्रकार ,लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता )

error: Content is protected !!