गद्य में पद्य भष्मासुर का उदय

sohanpal singh
sohanpal singh
एक दिवस महत्मब गांधी के धाम से
एक विलायती सा चूहा दिखने वाला
एक गुजराती बन के चायवाला
पहुंचा गंगा मैय्या की शरण में
शिव की नगरी बनारस
खाई गंगा मैय्या की कसम
माँगा जनता (शिव) से यह वरदान
दिला दो सत्ता दिल्ली की
भस्म कर दूंगा देश से काला धन, भ्रष्टाचार
बना दिया जनता ने भस्मासुर
मिटाने को काला धन और भ्रष्टाचार
देकर 31प्रतिशत मतदान का वरदान
बहुत करी उछल कूद और ऊँची कुदान
नहीं पहुँच पाये मगर काले धन के पास
मिटा न भ्रष्टाचार कर लिया काले धन का पचास पचास
बीता के दिवस आठ सौ बत्तीस
याद आया शिव (जनता ) का वरदान
आठ नवम्बर की रात भस्मासुर ने रख दिया
हजार और पांच सौ के नोट पर हाथ
तिलमिला गए लोग मुल्ला पंडित जोगी भोगी
मालिक नौकर अफसर मजदूर किसान और रोगी
दिन निकलते ही दौड़ पड़े बैंको की ओर
ले के हाथों में नोट जैसे दौड़ता हो कोई चोर
भस्मासुर के इस दांव से अबतक मर गए
लोग एक सौ पचास खड़े थे जो बैंकों की लाइन में
मांगे थे दिन पचास मिटाने को भ्रष्टाचार
अब भाग रहा दबा के दुम वो जिसने माँगा था वरदान
शिव (जनता ) करेगा तांडव अब पाने को मुक्ति
अपने वरदान से, सज रहा है मंच क्या होगी कोई युक्ति
भस्म करने को भस्मासुर को क्या वास्तव
क्या आएंगे नटराज दिखने को तांडव फिर एक बार ?

एस पी सिंह, मेरठ ।

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