ओम माथुरइन बदतमीज़ नेताओ को कौन सबक और तमीज़ सिखाएगा। जदयू के नेता शरद यादव ने कहा ,बेटी से ज्यादा इज्जत वोट की होती है। तो बीजेपी नेता विनय कटियार ने प्रियंका ग़ांधी पर ये कह दिया की सुन्दर होने से वोट नही मिलते। उनसे सुदर कई और महिलाएं चुनाव प्रचार में हैं। आखिर इन दोनों को वोट और चुनाव की आड़ मे महिलाओँ पर घटिया कटाक्ष करते का हक किसने दिया। आये दिन इन जैसे नेता महिलाओं पर घटिया कमेंट करते रहते हैं। देश की आधी आबादी का बार बार अपमान क्यों? दूसरों को नैतिकता,मू्ल्यो, संस्कारों का ज्ञान देने वाले नेता खुद कब संस्कारी बनेगे। कभी ये लोग महिलाओं के कपड़ो पर,तो कभी उनके देर तक घर से बाहर रहने पर,तो कभी परदा करने पर तो कभी किसी अन्य मुद्दे पर उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते रहते हैं। लेकिन इनके पार्टिया इन पर कोई कार्रवाई नही करती। महज ये कहकर पल्ला झाड़ लेती है की ये उस नेता की व्यक्तिगत राय है,पार्टी इससे सहमत नही है। क्या इतना कहा काफ़ी है? क्यों नही अब मतदान की हकदार युवतियां और महिलाएं ही ऐसे बदतमीज़ नेताओ के साथ ही इनकी पार्टी के उम्मीदवारों को भी वोट नही डाल सबक सिखाए।साथ ही सभी पार्टियो की महिला नेताओं को भी महिला अस्मिता की रक्षा के लिये एकजुट होना चाहिये। वरना ऐसे नेताओं के हौंसले बुलंद होते रहेंगे।