प्रेम आनंदकरवैसे मेरा किसी भी राजनीतिक दल से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन जब कुछ गलत होता है तो पीड़ा होती है। चाहे बीजेपी या कॉँग्रेस की सरकार हो, ठेका प्रथा और निजीकरण से बाज नहीं आती है। दूरसंचार सेवाएं निजी कंपनियों को सौंप कर बीएसएनएल का भट्टा बैठाया जा रहा है तो राजस्थान की भाजपा सरकार बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने जा रही है। धीरे धीरे पानी की व्यवस्था भी निजी हाथों में सौंप दी जायेगी। मेरा सीधा सा सवाल राजनीतिक दलों से है कि जब सब कुछ निजी हाथों में सौंपा जा रहा है तो फिर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों तथा अधिकारियों के पद यानी पूरी सरकार ही निजी हाथों में क्यों नहीं सौंप दी जाती है। ताकि हर पांच साल में चुनाव कराने की नौबत नहीं आएगी, देश का धन बचेगा। जनता की मेहनत की कमाई से वसूला जाने वाला टैक्स विकास में लगेगा। जनता चुनावों में जुमलों और झूठे वादों से छली नहीं जायेगी।