…………….मुद्दा अहम् है !

श्रीपाल शक्तावत
श्रीपाल शक्तावत
क्या पत्रकार को ये विशेषाधिकार है कि वह अदालत के सामने अपने ‘सोर्स’यानि ‘सूत्र’ की जानकारी ना दे ?
आज ये सवाल एक बार नहीं, कई बार अदालत में सामना कर रहा था .मौका था -राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी काण्ड में मेरे द्वारा पी 7 चैनल पर भंवरी की हत्या का वजह बनी सेक्स “सीडी” के खुलासे पर मेरे बयान और आरोपी पक्ष की तरफ से जिरह का .
इस मामले में बीते नवम्बर 2011 से जेल में बंद गहलोत सरकार के सबसे ताकतवर काबीना मंत्री महिपाल मदेरणा के वकील राजेंद्र चौधरी ने आज इस मुद्दे पर जमकर उलझाया .कई तकरीरें दी,कानून की किताबें पढ़ाई ,अदालत से भी गुहार की .लेकिन बतौर पत्रकार मैं इस बात पर अडिग था कि सूत्र का खुलासा किसी भी सूरत में नहीं करूँगा .
बात इसी मुद्दे पर अंत तक उलझी रही .अदालत के सामने भी ये सवाल बार-बार उठाया गया कि सोर्स का खुलासा करने के लिए अदालत बाध्य करे .विद्वान न्यायाधीश ने इस मसले को फैसला लेते वक्त देखने का भरोसा दिया तब मुद्दा ख़त्म हुआ .
लेकिन ये मुद्दा मेरे लिए इसलिए अहम् है कि पत्रकार अपने सोर्स को किस तरह सुरक्षित करे ? खासकर तब जब सीबीआई ये बताते हुए खिन्न हो कि इस मामले में बढ़ -चढ़ कर बहादुरी के किस्से सुनाने वाले पत्रकार बयानों से पलट चुके हैं .इतना ही नहीं सीबीआई दबंग और सियासी रसूख वाले नेताओं से जुड़े इस चर्चित मामले में गवाहों के पलटने से परेशान है .
वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत की फेसबुक वाल से साभार

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