शमेन्द्र जडवाल …यूँ तो प्रसिद्ध क्रिकेटर सहवाग और गौतम गम्भीर नेभी सुरक्षा बल और कश्मीर के हाल को लेकर इन दिनों कशमकश पर टिप्पणी की है।जिसे सोशल मीडिया पर खूब सराहना मिली है। तभी राष्ट्रहित में भाई, योगेश्वर पहलवान ने सुरक्षाबलों को फ्री हैण्ड दिये जाने की माँग करते , बहुत ही सटीक और दमदार बात कही है। लेकिन एक तो हमारे नेताओं का ढुलमुल रवैया तथा दूसरी ओर, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर छाए मानवाधिकारों के पैरोकारों का दबाव कुछ ठोस करने नहीं देरहा । जबकि हमारे सैनेकों के साथ घटित हररोज अपमान, क्षति और मानसिक आघात इन मानवाधिकार वादियों की नजरों में कोई मायने नहीं रखता। तब ऐसी दशा में हमें भी अपने सुरक्षा बलों के मनोबल को बनाए रखने हेतु कुछ तो ठोस करने की निहायत ही जरूरी व कठोर मुहिम चलानी होगी। वर्ना ये स्थिति कन्ट्रोल होगी भी कैसे ? न्यायालय भी फौज के ‘पैलेटगन प्रयोग’ पर अंकुश लगा चुका है। अब बहुत हो चुका है, इसी से देश भर के अनेक समझदार, ज्ञानी और प्रतिभाशाली नागरिक ‘इस कश्मीर समस्या’ का ठोस हल शीघ्र चाहने लगे हैं। अब खुद सरकार पर निर्भर है कि, वो पत्थर बाजी समस्या के निस्तारण को हल करना चाहती है, अथवा लटकाये रखना ! बहरहाल सरकार को कोई अंदेशा नजर आता है तब भी देश भर से इस निर्णय हेतु जनता की राय भी ली जा सकती है। अभी अभी ताजा ताजा उदाहरण सामने है, अमरीका ने आतंकी ठिकाने पर बड़ा बम गिरा ही दिया , प्रधान मंत्री जी को इस समस्या पर अपनी बहादुरी दिखानी होगी तभी कोई बात बनेगी। वर्ना तो जो चल रहा है वह देश हित में कतई नहीं माना जा सकता ।चूँकि, हर बात की एक “हद” होती है, ढुलमुल नीतियों के चलते, लगता है हालातों से निपटते निपटते हमारे जवान आखिर में कहीं अपनी……. ,शालीनता, अदब के बावजूद स्थितियाँ ,और स्वयं पर होते हमलों की पराकाष्ठा से उस हद को लाँघने में कोई कसर तो बाकी नहीं छोड़ रही है। रक्षकों के नियंत्रण में रहने की भी एक “हद” तो तय है ही। आखिर वे भी इंसान ही तो हैं ,कोई रोबोट तो हैं नहीं, इसीसे दुनिया की नजर में यही मुद्दा अति गम्भीर हो चुका है । जय हिन्द।