कितना बदनसीब है ज़फर कि
दो गज जमीं न मिल सकी कुआये यार में”
लेकिन हम बात कर रहे है इजरायल के प्रधान मंत्री नेतन्याहू की उन्होंने भारत की प्रसंसा के लिए काहे , 10 किलोमीटर का रोड शो , गांधी धाम में चर्खा चलाया फिर पतंग उड़ाई , आगरा का ताज महल देखा जो शाह जहां ने बनवाया था , इतना सबकुछ देखने के बाद एक पिद्दी से देश का प्रमुख कहता है ” गुलेल ” की गति से भारत ताकतवर बन रहा है , यानि वो भारत जो विकसित दुनिया के सेटलाइट अपने व्हीकल से अंतरिक्ष में स्थापित करता है एक साथ 100 सेटलाइट आंतरिक्ष की विभिन्न कक्षाओं स्थापित करके दुनिया में पहला स्थान रखता हैं । अब तक 100 यान छोड़नें का रिकार्ड स्थापित कर चुका है । उसकी गति गुलेल यानि आदिम युग का एक हथियार जितनी ताकत लगाओ उतना ही कारगर बहुत निन्दाजनक है नेतन्याहू का यह ब्यान यानि जिसके लिए प्रधान मंत्री सारे प्रोटोकॉल छोड़कर हवाई अड्डे पर स्वागत करते है वह पिद्दी का शोरबा जैसा देश हमारी प्रशंसा में इतने घटिया शब्दों का प्रयोग कयोकर कर रहा है यह सोंचने वाली बात तो है ही हम तो यही कह सकते है कि, ” कितना बाद नसीब है मोदी जो प्रशंसा में मिली गुलेल अपने यार से ” हम तो यही समझते है की दुनिया की सबसे तेज गति से उभरती हुयी अर्थव्यवस्था के देश का प्रधान मंत्री अपनी कुर्सी छोड़कर विदेशी मेहमानो को प्रोटोकॉल अधिकारी की तरह देश में घुमाता फिरता हो तो प्रसंशा में ऐसा ही कुछ मिलेगा गुलेल जैसा ?
एस.पी.सिंह, मेरठ