विभिन्न रिपोर्ट और अनेक लेखों के अध्यन के बाद अनुमानतः देश के १३२ करोड़ की आबादी में विभन्न वर्गों का प्रतिशत कुछ यूँ होता है ब्राह्मण ४% क्षत्रिय ७% वैश्य ५% मुश्लिम १७% ईसाई २% ये सब मिलकर हुए ३५%,१३२ करोड़ में से ४६.२ करोड़ निकले तो बचे ८५.८ करोड़ जो दलित पिछड़ा औ बी सी बौद्ध जाट गुजर अदिआदि और अन्य सामान्य जातीय जो न तो दलित है और न पिछड़े लेकिन असंतोष का मुख्य कारण केवल रोजगार है संविधान में आरक्षण के बाद भी वंचित लोगो का आरोप है की उनको समाज में उचित स्थान नहीं है और इसी असामान्य व्यवहार को सामान करने के चक्कर और वोट बैंक की राजनति ने बीजेपी और आरएसएस को बेक फुट पर ला दिया और ये लोग चुनावी चक्रव्यूह अपने ही जाल में फंस गए है क्योंकि बीजेपी एक संसोधन के जरिये ८५ करोड़ लोगो को बंधे रखना चाहती थी और अपने परम्परागत सवर्ण वोट बैंक पर अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझती है इस लिए अगर बीजेपी का २३ करोड़ सवर्ण वोटर नाराज होता है तो क्या होगा अब तो अगर छुरी खरबूजे गिरती है या खरबूजा छुरी पर गिरे नुक्सान खरबूजे का ही होना है
spsingh meerut