#SurgicalStrike2 पर युवा कवि साकेत गर्ग द्वारा लिखी कविता

Saket Garg
गरजा है नभ
शौर्य से
अभिमान से
मेरे देश के राष्ट्रगान से

हिली है धरा
हिला है अम्बर
जयघोष हुआ
गगनभेदी बाण से

गरजा है नभ
शौर्य से
अभिमान से
मेरे देश के राष्ट्रगान से

आये हैं अब्बा सिखाने तुझे धर्म वाली सीख
ऐ बुज़दिल! माँग ले अब रहम वाली भीख
इन शहीदों की माँओं से
इस देश हिन्दुस्तान से

गरजा है नभ
शौर्य से
अभिमान से
मेरे देश के राष्ट्रगान से

अब ना करना
कोई हिमाक़त
बचा ना पायेगी कोई इबादत
तीर निकल गया है कमान से

गरजा है नभ
शौर्य से
अभिमान से
मेरे देश के राष्ट्रगान से

है कायर तू ने बहुत सताया
फिर भी मैंने है शान्ति पाठ पढ़ाया
पर अबके जो तूने है ये हाथ बढ़ाया
तू जायेगा अब जान से

गरजा है नभ
शौर्य से
अभिमान से
मेरे देश के राष्ट्रगान से

*- साकेत गर्ग ‘सागा’*

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