माँ पर दोहावली

नटवर विद्यार्थी
माँ ममता की खान है, माँ ईश्वर का रूप ।
माँ शीतल सी चाँदनी, माँ जाड़े की धूप ।।

माँ रामायण,उपनिषद, माँ ही वेद कुरान ।
माँ गीता औ’ बाइबिल, माँ गुरुग्रंथ महान ।।

माँ की गोदी से बड़ा , ताज़ न कोई तख़्त ।
भान हुआ तब तक अरे, निकल चुका था वक्त ।।

बड़भागी वो लोग है , है ममता की छांव ।
काबा- काशी है वहीं , जहाँ माता के पाँव ।।

माँ जीवन का अर्थ है ,माँ जीवन का सार ।
माँ की पूजा के बिना, सब पूजा बेकार ।।

वृद्धाश्रम में भेजना ,कितना बड़ा मखौल ।
बूढ़ी माँ को चाहिए , बस दो मीठे बोल ।।

सबकी खुशियों के लिए , माँ करती उपवास ।
भूखी- प्यासी व्रत कई, रखती बारहमास ।।

माँ के बिन सूनी डगर, सूना है संसार ।
बाकी सब कुछ झूठ है , सच्चा माँ का प्यार ।।

धन्य हो गया आज मैं, गाकर माँ का गान ।
माताओं के दिवस पर , श्रध्दायुक्त प्रणाम ।।

– नटवर पारीक, डीडवाना

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