क्या है बदलाव की बुनियाद ?

महेन्द्र सिंह भेरूंदा
इस मिडीया को माध्यम बनाकर हमारी 2019 की नई गठित केन्द्रीय सरकार हमारे साथ अनहोनी मजाक कर रही है हालांकि मिडीया तो मोदीजी के बंधवा मजदूर के रूप में काम कर रहा है असली गुल तो यह गुजरती जोड़ी ही खिला रहे है ।
2019 के इस दौर मे मोदीजी के इस अल्पसंख्यक अनुराग को सम्पूर्ण देश तिरछी नजर से देख रहा है क्योंकि सरकार से अपना मौजूदा शिक्षा का ढांचा तो सम्हल ही नही जबकि इनको पांच वर्ष का समय भी मिला था और मिला है मगर चले है मदरसा सुधारने !
और इस सरकार ने अचानक इस समुदाय के लिए अपने खजाने के चारो दिशाओ के दरवाजे खोल दिए है यह सभी कुछ आम आदमी के समझ से परे है क्योंकि इस व्यक्ति ने गुजरात के सूबे के मुख्यमंत्री रूप में मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया था मगर आज !
और पिछले पांच साल बहुमत की सरकार के रूप में काम किया तब गोभक्तो द्वारा इस वर्ग की हत्या और मारपीट पर प्रधानमंत्री के रूप में बंदे ने उफ़ तक नही किया मगर आज !
और अभी कुछ दिन की ही तो बात है इस चुनाव के दरमियान इस व्यक्ति ने साम्प्रदायिकता को खेंचकर देश के हर कौने से लेकर हर बूथ तक ले जाकर ईवीऐम को भी ओढा दिया और प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया, उसी मुंह से जिस मुंह से धार्मिक उन्माद अभी भी टपक रहा है उसी मुंह से इस महान आत्मा ने मुसलमान के हित वाली बात करने में रत्तीभर भी हिचक महसूस नही करी तो आप अंदाज लगाओ यह व्यक्ति कितना ढिंठ है ।
और वैचारिक परिवर्तन भी इतने अल्प समय में नही हो सकता, तो मै यह भी ताल ठोक कर कह सकता हूं कि यह पागलपन भी नही हो सकता क्योंकि जो लोग सम्पूर्ण देश को पागल बना रहे है उनका खुद पागल होना, बात गले नही उतर रही है और ऊपर से आरएसएस वाले इसी राग में भागवत भी उलटी भागवत का पाठन कर रहे है तो फिर कोई मिलीभगत का बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है और एक साथ इतने लोग पागल भी नही हो सकते यह पागल बनाने का कोई बड़ा सड़यंत्र है ।
मगर इनकी गति और जाने की दिशा से मुझे लगता है कि हम भटकाव की तरफ आगे बढ रहे है इसलिए समय रहते यदि हम नहीं सम्भले तो इस घोर कलयुग में वासूदेव भी इस आर्यवृत को नहीं बचा सकेंगे, ऐसे में हम सब कुछ डुबो के देह त्याग कर चले गए तब आने वाली पीढी घृणा से हमारे श्मशानघाट की तरफ भी नही देखेगी और हमारी आत्माए पितृपक्ष में अपने तर्पण हेतु वंशजो के इंतजार में तड़फती रहेगी और हमें मरे हुए को एकबार और मरना पड़ेगा ।
इस लिए समय रहते जाग जाओ वरना हम अपना सब कुछ खो बैठेंगे ।
महेन्द्र सिंह भेरुन्दा

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