दस साल बाद संघ प्रमुख अजमेर में

मुजफ्फर अली
4 सितंबर से लेकर 11 सिंतबर 2019 तक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पुष्कर में रहेंगें। इससे पूर्व 2009 में जब मोहन भागवत तीन दिन के लिए अजमेर प्रवास पर आए थे तब अजयनगर के अविनाश माहेश्वरी पब्लिक स्कूल परिसर में ठहरे थे। वर्ष 1992 में स्थानीय युवक छात्र अविनाश माहेश्वरी अयोध्या में कारसेवा के लिए गया था और कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद के ढांचे तो तोड़ते समय गिरे मलबे में दबकर उसकी मौत हो गई थी। उसकी याद में हिंदुत्व वादियों ने अजयनगर में स्कूल का नामकरण किया । मोहन भागवत के तीन दिन अजमेर प्रवास और अंत में आजाद बाग में उनके संघ कार्यकत्र्ताओं को संबोधन को मैंने संडे नई दुनिया की तरफ से कवरेज किया था। तीन दिन तक भागवत की दिनचर्या और विचार मंथन पर मैंने नजर रखी। उस समय मोहन भागवत ने संघ के उदार होने का संकेत दिया था। मोहन भागवत जहाँ ठहरे थे वहाँ से मात्र दो किलोमीटर दूरी पर सूफी संत ख्वाजा मोइनुददीन चिश्ती की विश्वप्रसिद्व दरगाह थी। भागवत दरगाह में नहीं गए लेकिन उन्होने चिश्ती का जिक्र किया। हिंदु मुस्लिम के बीच भाईचारे की बात कही थी। आजाद बाग में मोहन भागवत का संघ कार्यकत्र्ताओं को संबोंधन का कार्यक्रम था जहाँ किसी गैर संघ कार्यकत्र्ता के प्रवेश की मनाही थी यहाँ तक कि मीडिया को भी दूर जगह दी गई थी। मेरे संघ से जुड़े मित्र नरेश जैन ने मुझे आजाद बाग में प्रवेश कराने में मदद की और तब में भागवत को सुन सका। तब के भागवत के विचारों में नम्रता, उदारता, कामना का पुट था। ठीक दस साल बाद मोहन भागवत अजमेर की धरती पर लौटे हैं और इस बार पुष्कर धरा पर अपना आसन बिछाया है। यह उनके हिंदुत्व की जीत से उपजी गर्वता का प्रतिबिंब है। इस बार वह साधारण से दिखने वाले संघ प्रमुख नहीं बल्कि जेड सुरक्षा के साथ तमाम सुविधाओं से लैस, केन्द्र सरकार की डोर अपने हाथ में लिए देश के महत्वपूर्ण व्यक्ति के रुप में पुष्कर के माहेश्वरी सेवा सदन में मौजूद हैं। मंगलवार की शाम उन्होंने परशुराम घाट पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सरोवर की पूजा अर्चना की तथा निंबार्कपीठ के गिरधर गोपाल मंदिर के दर्शन किए। उन्होंने करीब पौन घंटे तक निंबार्क पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्य श्रीजी महाराज से बंद कमरे में शिष्टाचार मुलाकात की।
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तीर्थराज पुष्कर की धरा पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपनी जाजम बिछाई है। हिंदुत्व की जीत से सरोबोर, राष्ट्रवाद को अपने अनुकूल परिभाषा में बदल चुके संघ का यह स्वर्णकाल चल रहा है। उसकी हर इच्छा पूरी हो रही है, सपने साकार होते दिख रहे हैं। 1995 में अपनी स्थापना से लेकर दशकों तक संघर्ष, सहनशील, महत्वकांक्षी और अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर धीरे धीरे आगे बढऩे वाला संघ अब अपनी मंजिल से दूर नहीं है। सत्ता की डोर उसके हाथ में आ चुकी है, लोकसभा में भारी बहुमत है, राज्यसभा में आवश्यक सीटें पा चुका है। राष्ट्रपति अपना है प्रधानमंत्री अपना है, हर संवैधानिक विभागों, सरकारी उपक्रमों, गैर सरकारी पदों पर अपने आदमी बैठ चुके है। विपक्ष आईसीयू में है। इससे अच्छा अवसर और कार्यकाल अब और नहीं मिल सकता। कुछ सालों पूर्व अपने संघर्ष में हारा थका संघ उदारता, नम्रता का भाव दिखा रहा था, आज उसका चेहरा अपनी विजय से गौरन्वित होकर चमक रहा है। अब अंतिम इच्छा राममंदिर का निर्माण शुरु होने की रह गई है जो तमाम व्यवस्थाओं के बीच देर सवेर पूरी हो ही जाएगी। संघ के तीन एजेंडें और एक सपना था। राममंदिर निर्माण, कश्मीर में धारा 370 हटाना, समान नागरिकता कानून लागू करवाना और सबसे बड़ा सपना देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाना रहा है। इनमें से धारा 370 हटा दी गई है, तीन तलाक कानून लागूकर, मुस्लिम पर्सनल लॉ में सेंघ लगाकर, संघ समान नागरिकता कानून की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। न्यायपालिका में घुसपैठ हो चुकी है इसलिए राममंदिर निर्माण दूर नहीं और फिर जहाँ उसके पास विशाल प्रचार तंत्र है जिसके सहारे हिंदू राष्ट्र हो जाने की घोषणा का कोई मतलब भी नहीं रह जाएगा। तीर्थराज पुष्कर में ब्रहमा जी का एकमात्र मंदिर है जिसके बारे में पौराणिक कथा है कि ब्रहमा ने धरती पर अपना मंदिर कहाँ बने इसके लिए अपने पुष्प कमल की एक पांखुड़ी धरती पर फेंकी और यह पांखुड़ी पुष्कर में जाकर गिरी जहाँ आज ब्रहमा मंदिर है। संघ उस ब्रहमा को धन्यवाद करने और आशीर्वाद लेने पुष्करधरा पर अपनी अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक कर रहा है। सत्ता में बैठे लोग और संघ के पदाधिकारी की समन्वय बैठक में औपचारिक रुप से मुद्दे कोई भी हों लेकिन तीर्थ राज पुष्कर से संघ की घोषणा हिंदुत्व का विजय घोष होगा।
– मुजफ्फर अली

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