सहिष्णुता बचपन के संस्कारों पर निर्भर है । इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भारतीय महिलाएं । यहाँ बचपन से ही बालिकाओं में इस भाव का बीजारोपण किया जाता है , श्रेष्ठ संस्कार दिए जाते है जो आगे चलकर दो परिवारों की मज़बूत कड़ी बन जाते हैं । यही कड़ी और ताक़त घर – परिवार को जीवनभर जोड़े रखती है अतः यह तो निश्चित है कि सहिष्णुता एक ऐसा गुण है जो घर – परिवार , समाज और राष्ट्र को टूटने नहीं देती ।
सहिष्णुता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि भारत गंगा – जमुनी तहज़ीब वाला देश है । विविधता इस देश की आत्मा है । यहाँ के निवासी एक दूसरे के धर्म और प्रथाओं की समझ रखते हैं और यही समझ हमारे लोकतंत्र की मज़बूती का आधार बनी हुई है ।
कई बार सहिष्णुता को कमजोरी समझ लिया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि जब-जब भी सहिष्णुता पर आँच आई है हम कमज़ोर हुए हैं , हमारी विकास यात्रा ठप्प हुई है । सहिष्णुता के भाव ने देश को सदैव मज़बूत किया है और असहिष्णुता के भाव ने आघात पहुँचाया है । असहिष्णुता के कारण ही हम बंटवारे की पीड़ा भोग चुके हैं ।
आज असहिष्णुता को सार्वजनिक चर्चा का विषय बनाकर देश की प्रतिष्ठा धूमिल करने का कुत्सित प्रयास और व्यर्थ के मुद्दों में हमें उलझाकर भ्रम का वातावरण पैदा किया जा रहा है जो चिंता की बात है । हम सबको इन विघटनकारी ताकतों से सावधान रहने की जरूरत है । भारतीय समाज सदैव सहिष्णु था , है और रहेगा ।
मंदिर बोला , मस्ज़िद बोली ,
गूँज हुई गुरुद्वारों से ।
मानवता को आज बचाएँ ,
धर्म के ठेकेदारों से ।
– नटवर पारीक