प्रार्थना एक ऐसी आध्यात्मिक क्रिया है जो मन को शांत , बुध्दि को एकाग्र , संस्कार को श्रेष्ठ और आत्मविश्वास को मजबूत करने का काम करती है । प्रार्थना हमारे भीतर दया , अहिंसा , ममता , परोपकार , सहनशीलता , सहयोग , सादगी जैसे मानवीय गुणों को विकसित करती है । प्रार्थना से मन स्थिर और शांत रहता है । प्रार्थना के माध्यम से क्रोध पर नियंत्रण पाया जा सकता है । प्रार्थना सकारात्मक ऊर्जा संचरित करती है , इससे शरीर स्वस्थ , पवित्र , प्रफुल्लित और तरोताजा रहता है ।
कई बार हमारी प्रार्थनाएं निष्फल हो जाती है और हम अविश्वास , संदेह और निराशा से घिर जाते हैं , ऐसी स्थिति में यह निश्चित मानिए कि आपके द्वारा की गई प्रार्थना से आपका ही नुक़सान हो रहा था । भला जिससे आपका नुक़सान हो उस प्रार्थना को ईश्वर कैसे स्वीकार कर सकता है ? एक बात और है किसी अन्य के नुक़सान के उद्देश्य से की गई प्रार्थना भी कभी स्वीकार नहीं होती । मन और हृदय में पवित्र भाव रखते हुए प्रार्थना कीजिए , ऊपरवाला अवश्य सुनेगा ।
– नटवर पारीक