अभिमान से बिल्कुल विपरीत स्वाभिमान शब्द लघुता से प्रभुता की और बढ़ने का भाव है । किसी को चोट पहुँचाए बिना अपना सम्मान और गरिमा बनाए रखना स्वाभिमान है । स्वाभिभान ” मैं ही हूँ ” के स्थान पर ” मैं भी हूँ ” का भाव लिए होता है । स्वाभिमान विनम्रता , समानता , सहकार , शांति , निष्ठा , आत्मविश्वास , कर्मठता एवं कर्त्तव्य परायणता से पोषित होता है । स्वाभिमानी हमेशा स्नेह और आदर का पात्र बनता है । स्वाभिमान व्यक्ति को विशेष और सफल बनाता है , उसे पहचान देता है । स्वाभिमानी व्यक्ति किसी की दासता अथवा व्यर्थ का उपकार स्वीकार नहीं करता । महाराणा प्रताप स्वाभिमान के श्रेष्ठ प्रतीकों में से एक है । किसी ने सच कहा है –
इंसान के अंदर जो छलके ,
वो स्वाभिमान है ।
और जो बाहर छलके ,
वो अभिमान है ।
– नटवर पारीक