मित्रों,मैं आपसे ये एक महत्वपूर्ण सुझाव शेयर भी कर रहा हूं और इसी लेख के माध्यम से अपने विचारों को माननीय मुख्यमंत्री महोदय श्री अशोक जी गहलोत व प्रधानमंत्री महोदय सम्मानीय नरेंद्र जी मोदी के पास भिजवा रहा हूं।वर्तमान में हम सब लोग घरों में कैद हैं।गरीब लोगों के लिए सरकार खुद व भामाशाहों को प्रेरित कर वेलफेयर के काम कर रही है।करना भी चाहिए।राज्य के मुखिया की ये ड्यूटी भी होती है।अमीरों को ना तो लॉक डाउन से फर्क पड़ना है न और किसी आपात परिस्थितियों से।सबसे ज्यादा फर्क पड़ रहा है तो वो पड़ रहा है मिडिल क्लास को।और मिडिल क्लास में लगभग सारे छोटे बड़े व्यापारी कवर होते हैं।आज इन हालातों में मैं सरकार से ये तो नहीं कह सकता कि सरकार मिडिल क्लास की कुछ मदद करे।क्योंकि मैं जानता हूं ना तो मिडिल क्लास कोई सरकारी सहायता की मांग करता है,ना ही सरकार देने वाली।सरकार की आर्थिक स्थिति भी हम सबसे छुपी हुई नहीं है।लेकिन यहां सबसे महत्वपूर्ण विषय जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए वो विषय है *ऑनलाइन बिज़नेस को बंद करना* उसके पीछे मुख्य कारण और लॉजिक जो हैं वो आपको प्रस्तुत कर रहा हूं।
(1) *ऑनलाइन कंपनियां जैसे अमेजॉन,फ्लिपकार्ट,स्नैप डील आदि सब विदेशी कंपनियां है।ये हमारे यहां से पैसा कमाकर,हमारे संसाधनों को काम में लेकर,हमारे मजदूरों को छोटी मोटी मजदूरी देकर मुनाफा अपने देश में ले जाती हैं।ये हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह चाट रही हैं।सही मायने में ये अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह एंट्री करके हमारे देश को गुलाम बनाना चाहती हैं।इनको तुरंत प्रभाव से भगाने में ही फायदा है इस देश का।*
(2) *हमारे देश और प्रदेश के व्यापारी वैसे ही विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की मार से जूझ रहे हैं।हम उनकी और कुछ मदद नहीं कर सकते तो कम से कम उनके पेट पर तो लात नहीं मारें।इतनी तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती ही है।*
(3) *ऑनलाइन बिज़नेस करने वाले अपना सामान खरीदेंगे,किसी से पैकिंग करवाएंगे।किसी से होम डिलीवरी करवाएंगे।इस कड़ी में एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकला तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।इसके विपरीत जिस छोटे दुकानदार से हम सामान खरीद रहे हैं वो हमारे सामने होता है।हम पुरी सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हैं।हम उसे व्यक्तिगत तौर पर जानते होते हैं।उनसे खरीददारी करने में कोई रिस्क नहीं है।*
(4) *देश में आई इन संकट कालीन परिस्थितियों में हर छोटे से छोटे और बड़े व्यापारियों ने प्रधानमंत्री फंड,मुख्यमंत्री फंड,स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा गरीबों की मदद करने के लिए बनाए गए राहत कोष सहित हर स्तर पर मदद की है,कर रहे हैं तथा करते भी रहेंगे।* *इसके विपरीत इन विदेशियों कम्पनियों का देश हित में कोई योगदान नहीं है।जो हमारे देश के लिए नहीं है उन्हें यहां व्यापार करने का कोई अधिकार नहीं है।जब हम मूवी देखने जाते हैं,एयरपोर्ट पर जाते हैं।वहां उस संस्थान की मोनोपोली चलती है तो हमारे देश में क्यों नहीं ? और फिर मोनोपोली भी किस बात की है।व्यापारी दस बीस प्रतिशत मुनाफा ही तो ले रहे हैं।उनका परिवार नहीं है क्या ? उनके बच्चे नहीं है क्या ?*
(5) *अंतिम सझाव मानवता और देशभक्ति से जुड़ा हुआ है।मैं मेरी बात करता हूं।मैं छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी वस्तु मेरे गांव के व्यापारी से खरीदता हूं।यदि उनके पास उपलब्ध नहीं होती है तो उन्हें बोल देता हूं कि आप मंगवाकर दे दो।मैं सही कह रहा हूं जब आप अपने पड़ोसी,मिलने वाले,यार दोस्त के ऊपर ये बात छोड़ दोगे की अच्छी और टिकाऊ चीज लाकर दो तो वो आपको बेस्ट और किफायती चीज लाकर ही देंगे।और यही नहीं उसकी सर्विस भी देंगे।* इसके विपरीत ऑनलाइन चीज दिखती अलग है होती अलग है।थोड़े से लालच के चक्कर में हम अपने ही देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं।ये लोकल व्यापारी हमारे भाई हैं।हमारे देशवासी हैं।इनका ध्यान रखने की हमारी मोरल ड्यूटी है।इसके साथ ही ये और कहना चाहूंगा कि ऑनलाइन शॉपिंग में आज हम बिना जरूरत की चीजें मंगवाकर अपना बजट भी बिगाड़ देते हैं जबकि लोकल शॉपिंग में हम वो ही चीज लाते हैं जो वास्तविकता में जरूरी होती है।तो मित्रों मेरे ये सुझाव आपको ठीक लगे तो शेयर कीजिये प्रॉपर मंच तक पहुंचाइये।धन्यवाद।कृपया कॉपी पेस्ट नहीं करें।
डॉ.मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार।9413300227