*सेवा*

नटवर विद्यार्थी
मायावी दानव कोरोना ,
विविध रूप -रंगों में आता ।
अपना बनकर बातें करता ,
फिर पट्ठा सबको खा जाता ।

सावधान इससे रहना है ,
यही निवेदन, यही विनय है ।
जिसने लापरवाही बरती ,
समझो यह उसके ही घर है ।

सफाईकर्मी ,नर्स , डॉक्टर ,
शिक्षक , फ़ौजी और सिपाही ।
प्रहरी बनकर डटे हुए हैं ,
ख़तरे से दिन-रात लड़ाई ।

क़लमकार , हॉकर्स, मीडिया ,
पत्रकार सच्चे सेनानी ।
दौड़ रहे जनता के ख़ातिर,
सबकी रक्षा करे भवानी ।

दानी भी आगे आए हैं ,
जनमानस की सेवा करने ।
खुले हाथ अनुदान दे रहे ,
कोरोना से रक्षा करने ।

आज ज़रूरत मिलकर हमको ,
अपना प्यारा देश बचाना ।
ज़िम्मेदारी है हम सबकी ,
इस दानव को मार भगाना ।

यही धर्म है , यही इबादत ,
यही मुहम्मद,यीसु, देवा ।
घर पर रहकर कर सकते हैं ,
हम भी भारत माँ की सेवा ।

– *नटवर पारीक*, डीडवाना

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