*जीवन*

नटवर विद्यार्थी
धूप-छाँव का खेल खेलते ,
बहता जाता जीवन ।
कभी किसी से रिश्ते जुड़ते ,
कभी किसी से अनबन ।
एक दिवस हँसता-गाता तो ,
दूजा दिन दुखदायी ।
कभी विरह के क्षण आते तो ,
कभी बजे शहनाई ।
एक घड़ी ऐसी आती है ,
आमंत्रण आ जाता ।
खाली हाथ दिखाकर हमको ,
यह जीवन रुक जाता ।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना

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