*पहली बार*

नटवर विद्यार्थी
मंदिर-मस्ज़िद सूने-सूने,
ख़ामोशी स्वर-लहरों में ।
पहली बार हुआ है ऐसा ,
मानव बैठा पहरों में ।

आज़ादी के साथ विचरते ,
वन्य प्राणियों को देखा ।
नदियाँ सारी स्वच्छ हो गई ,
धुआँ छंट गया शहरों में ।

भीड़ न जाने कहाँ खो गई ,
सड़कें मन में सोच रही ।
वर्षों बाद कमी आई है ,
दुर्घटना की लहरों में ।

चाहे इसको विपदा कह लो ,
पर कुछ-कुछ तो अच्छा है ।
पहली बार ख़ुशी देखी है ,
बस्ता ढोते चेहरों में ।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना

error: Content is protected !!