सबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था उसका नाम “सैमसन” था और वो हादसे के वक्त टाईटेनिक से सिर्फ सात मील की दुरी पर था ।
सैमसन के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक की ओर से
फायर किए गए सफेद शोले ( जो कि अत्यधिक खतरे की हालत मे हवा मे फायर किया जाता है) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरो की चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था, लेकिन सैमसन के लोग गैर कानूनी तौर पर बहुत कीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नही चाहते थे कि पकडे जाए लिहाजा वो टाईटेनिक की हालात को देखते हुए भी मदद न करके अपनी जहाज़ को दुसरे तरफ़ मोड़ कर चले गए ।
*”ये जहाज़ हम मे से उन लोगों की तरह है , जो अपनी गुनाहों भरी जिन्दगी मे इतने मग़न हो जाते हैं कि उनके अंदर से इन्सानियत का एहसास खत्म हो जाता है और फिर वो सारी जिन्दगी अपने गुनाहो को छिपाते गुजार देते हैं..”*
दूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था उसका नाम “केलीफ़ोर्नियन” था जो हादसे के वक्त टाईटेनिक से चौदह मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने भी टाईटेनिक की तरफ़ से मदद की पुकार को सुना और बाहर निकल कर सफेद शोले अपनी आखो से देखें लेकिन क्योकि टाईटेनिक उस वक्त बर्फ़ की चट्टानो से घिरा हुआ था। उसे उन चट्टानों के चक्कर काट कर जाना पड़ता इसलिए वो कैप्टन मदद को ना जा कर अपने बिस्तर मे चला गया और सुबह होने का इन्तेजार करने लगा ।
जब सुबह वो टाईटेनिक के लोकेशन पर पहुँचा तो टाईटेनिक को समुन्द्र की तह में पहुँचे हुए चार घंटे गुज़र चुके थे और टाईटेनिक के कैप्टन एड्वर्ड स्मिथ समेत 1569 मुसाफिर डूब चुके थे..!
*”ये जहाज़ हम लोगो मे से उनकी तरह है जो किसी की मदद करने में अपनी सहूलियत और असानी देखते है और अगर हालात सही ना हो तो किसी की मदद करना अपना फ़र्ज़ भूल जाते है “*
तीसरा जहाज़ “कार्फटिया” था जो टाईटेनिक से 68 मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने रेडियो पर टाईटेनिक के मुसाफ़िरो की चीख पुकार सुनी, जबकि उसका जहाज़ दूसरी तरफ़ जा रहा था। उसने फौरन अपने जहाज़ का रुख मोड़ा और बर्फ़ की चट्टानों और खतरनाक़ मौसम की परवाह किए बगैर मदद के लिए रवाना हो गया, लेकिन वो दूर होने की वजह से टाईटेनिक के डूबने के दो घंटे बाद लोकेशन पर पहुँच सका । *’लेकिन यही वो जहाज़ था , जिसने लाईफ बोट्स की मदद से टाईटेनिक के बाकी 710 मुसाफिरो को जिन्दा बचाया था और उन्हें हिफाज़त के साथ न्यूयार्क पहुँचा दिया था* उस जहाज़ के कैप्टन को ब्रिटेन के तारीख के चंद बहादुर कैप्टनों में शुमार किया जाता है और उनको कई समाजिक और सरकारी अवार्ड से भी नवाजा गया था*.
* एक बात हमे हमेशा याद रखना चाहिए कि हम सभी की जिन्दगी मे मुश्किलात रहती हैं, चैलेंज रहते हैं, *लेकिन जो इन मुश्किलात और चैलेंज का सामना करते हुए भी इन्सानियत की भलाई के लिए कुछ कर जाए उन्हे ही इन्सान और इन्सानियत याद रखती है* ।
*दुआ करें कि ईश्वर हमे किसी की मदद का जज़्बा और अवसर
प्रदान करे क्योंकि ये इन्सानियत की सबसे उत्कृष्ट और शानदार सेवा है*
प्रस्तुति सौजन्य
*बी एल सामरा नीलम*
पूर्व शाखा प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल कार्यालय अजमेर