अजमेर में तीन ही सिनेमा हॉल थे

शिव शंकर गोयल
अजमेर में तीन ही सिनेमा हॉल थे. न्यू मैजेस्टिक-मूंदडी मोहल्ला के पास, प्लाजा-डिग्गी बाजार और प्रभात-रघुनाथ भवन के सामने वाली सडक पर-.
अजमेर के धार्मिक स्थल पुष्कर में ईश्वर के तीन अवतारों के तीन प्रसिध्द मंदिर है. ब्रह्मा मंदिर, विष्ण भगवान का नया और पुराना रमावैकुन्ठ मंदिर और शिवजी का प्राचीनतम आत्मतेश्वर महादेव मंदिर. यह मंदिर वाराह घाट से कुछ पहले है.
सन 1952 के प्रथम आम चुनाव में यहां तीन ही प्रमुख राजनीतिक दल थे. 1. कांग्रेस, 2.हिन्दु महासभा और रामराज्य परिषद का गठजोड और 3.साम्यवादी दल.
सन 1952 में प्रथम आम चुनाव के बाद यहां कांग्रेस के हरिभाऊ उपाध्याय-हटून्डी- के नेतृत्व में तीन सदस्यीय मंत्रीमंडल का गठन हुआ जिसके बाकी के दो सदस्य थे सर्वश्री बालकृष्ण कोल-गृहमंत्री, अजमेर पूर्व- और बृजमोहनलाल शर्मा, शिक्षा मंत्री-ब्यावर. इसके प्रथम कमिश्नर ऐ.डी पंडित और विधान सभा के स्पीकर श्री रमेश भार्गव थे. संयोग की बात है कि दोनों के नाम में ही तीन तीन अक्षर है. अजमेर राज का सचिवालय एवं विधानसभा बाम्बेवाली कोठी मे होता था जो आजकल बिजली विभाग के दफ्तर के सामने स्थित है.
1 नवम्बर 1956 को जब अजमेर राज्य का राजस्थान में विलय हुआ तब यहां की राजनैतिक जागरूकता, साक्षरता –केरल के बराबर 62 प्रतिशत थी-और राजस्थान के मध्य में भौगोलिक स्थिती होने के बावजूद इसे राजधानी नही बनाकर उसके एवज में राज्य के तीन प्रमुख संस्थान दिये गए. 1. रेवन्यू बोर्ड 2.राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन और 3. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान.
पचास के दशक में अजमेर में हिन्दी के तीन दैनिक अखबार पढे जाते थे. 1.दैनिक नवज्योति 2. न्याय-पहले यह साप्ताहिक था- और 3. जयपुर से प्रकाशित हजारीलाल शर्माजी का राष्ट्रदूत.
पचास-साठ के दशक में तीन साप्ताहिकों का प्रचलन था. 1.राष्ट्रवाणी- सं.कैलास वर्णवाल- 2.भभक –सं श्रीकृष्ण गोपाल ऊर्फ गोपाल भैया और श्री घीसूलाल पांड्या जी का आजाद.
यहां उस समय बी बी एन्ड सी आई –बाम्बे बडौदा एन्ड सैन्ट्रल रेल्वे- के तीन कारखानें थे. 1.लोको, 2.कैरिज और सिगनल.
उस समय अजमेर रेल्वे का बडा केन्द्र था. ऱेल्वे कर्मचारियों के हितों के लिय़े बोलनेवाली रेल्वे यूनियन बहुत मजबूत थी. उसके तीन बडे नेता थे. 1.कामरेड रूद्र दत्त भारद्वाज, 2. का. शौकतअली और का.बीडी जोशी.
इसी प्रंसग में एक दिलचस्प बात यह कि आजादी के समय यहां खरवा के प्रसिध्द डाकू मोर सिंह का बडा नाम था. कहते है कि वह सिर्फ तीन जातियों को ही लूटते थे. 1.बनिया-वैश्य, 2. सुनार और कलाल-जो शराब का धन्धा करते है.
आजादी के आंदोलन के समय हिन्दूस्तान सोश्यलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन-आर्मी- के श्री चन्द्रशेखर आजाद आदि नेताओं का समय समय पर गुप्तरूप से अजमेर आगमन हुआ और वह तीन जगह ठहरे थे. 1.घासीरामजी की धर्मशाला-नहर मोहल्ला, 2. कचहरी रोड पर बंगाली धर्मशाला के पास में स्थित स्थान, जहां कभी तेजस्वी चरपुंज स्काउटिंग का ऑफिस था और 3.ब्यावर में सेन्दरा रोड पर स्थित एक बगीची.
सन पचास-साठ के दशक में आम जनता के लिए अजमेर में तीन अस्पताल थे. 1. विक्टोरिया- जवाहरलाल नेहरू अस्पताल. 2. कस्तूरबा और लौगिंया-जनाना अस्पताल. रेल्वे कर्मचारियों के लिए रेल्वे अस्पताल अलग से था.
उन्ही दिनों शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए तीन स्थान थे. 1.रेल्वे बिसिट इन्स्टीट्यूट कचहरी रोड पर इंडिया मोटर्स के सामने. 2.रेल्वे का ही कैरिज स्पोर्टस क्लब-मारटेंडल ब्रिज के पास और 3. रामायण मंडल-डिग्गी बाजार.
तीन ही सब्जी मंडिया थी. 1. ईदगाह 2.रामगंज ब्यावर रोड और आगरा गेट बाहर.
उस समय शहर में तीन मशहूर डाक्टर हुआ करते थे. 1. डा. सूरज नारायण. 2.डा. अम्बालाल और डा. दूबे.
पुष्कर में तीनों अवतारों के तीन प्रसिध्द मंदिर है. 1. ब्रह्मा मंदिर 2. विष्णुके नया-पुराना रमावैकुन्ठ मंदिर और 3.शिवजी का आत्मतेश्वर मंदिर-जिसको अपभ्रंश में अटपटेश्वर महादेव भी बोला जाता है. यह वंशीघाट जाने के रास्ते के पहले है.
नया शहर अर्थात ब्यावर में भी तीन ही मिलें थी.1.एडवर्ड मिल. 2. लक्ष्मी मिल और कृष्णा मिल.
अजमेर में तीन मशहूर कवि हुआ करते थे. 1.श्री त्रिलोक चन्द गोयल. 2.श्री बाल किशन गर्ग और कवि हुल्लड. यहां होने वाले कवि सम्मेलनों मे बाहर से आने वाले तीन कवि तो नियमित थे.1.झुंझनु के श्री विमलेशजी. 2. हमीरपुर भीलवाडा के श्री बंशीधर बेकारी और 3. श्री ठाडा, अध्यापक, जो बाद में जवाहर स्कूल में ट्रांसफर होकर आगए.
ऊर्स के मेले के समय तीन शायर जरूर ही आया करते थे. 1.परवीन बाबी, 2.बदनाम और 3.शायर कुल्लड.
ऊर्स में ही तीन कव्वालों की धूम मची रहती थी. 1.शंकर 2. शम्भू 3.बव्वन कव्वाल.
नब्बे के दशक में अजमेर नगर परिषद में एक बडा मजेदार वाकया हुआ जब वहां की लेखा शाखा में लेखाधिकारी ने अपने उत्तराधिकारी को चार्ज में सिर्फ तीन आने बैलेन्स में दिए.
जैसा कि आपको विदित ही है कि सृष्टि में तीन अंक की बडी महिमा है. ईश्वर के तीन अवतार महत्वपूर्ण हुए है. 1.ब्रह्माजी (सृष्टि के रचनाकार) 2. विष्णु (पालनहार) और 3. महादेव (संहारक). तीन ही महत्वपूर्ण लोक है. 1 आकाश 2. पाताल और पृथ्वी. गीता के अनुसार आदमी की प्रकृति (स्वभाव) त्रिगुणात्मक सत,रज और तम है. आयुर्वेद का ईलाज तीन दोषों वात, पित्त और कफ पर आधारित है. ऐसे ही और भी कई बातें है जो प्रकृति ने तीन ही रची है. जहां तक अजमेर में ऊपर कही गई बातों का संबंध है यह किसी रचना का फल है या संयोगवश ही ऐसा हुआ यह कहना कठिन है.
पचास-साठ के दशक में देखने में यह आता था कि पाठशालाओं में अध्यापन के दौरान गणित के अध्यापक “मुझसे ज्यादा तीन पांच मत कर” मुहावरा कहते हुए सुने जाते थे हालांकि अन्य लोग भी बहस करते वक्त अकसर इस मुहावरे का इस्तैमाल कर लिया करते थे. कई लोगों की आदत में होता है कि वह इधर उधर की बात करेंगे या बात को बढा-चढा कर कहेंगे ताकि लोग उनकी बात पहले सुने. ऐसे लोगों के बारे में कहा जाता है कि यह तीन की तेरह करता है. किसी मामले को खतम करने के लिए कहा जाता है कि जो कुछ करना हो उसका तीया-पांचा करके खतम करो. तीन की संख्या को कई लोग शुभ नही मानते और कह बैठते है कि तीन तिगाडा, काम बिगाडा लेकिन वास्तविक जिन्दगी में ऐसा नही होता वरना वर्षों पूर्व परिवार नियोजन विभाग अपना नारा दो या तीन बस ! क्यों रखता ? पैसे की महिमा यह कह कर गाई जाती थी पैसा तेरे तीन नाम, पैस्यो, पैसा, परसराम. कीमत के हिसाब से तो उसकी कोई कीमत नही रही लेकिन उसका नाम अभी भी चलता है.

शिव शंकर गोयल

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