हास्य-व्यंग्य
एक स्थान पर एक कॉलोनी के बाहर एक व्यक्ति चार पहियेवाले ठेलें-थडी- पर कपडों की धुलाई-प्रेस का काम करता था. एक बार पूछने पर उसने बताया कि बाबूजी ! मैं आठवी क्लास तक पढा हूं. थोडी बहुत इंगलिश भी आती है. यह बात हाथो-हाथ कन्फर्म भी हो गई जब मैंने पास ही खडी उसकी साईकिल पर गत्तें पर लिखी तख्ती टंगी देखी, लिखा था “प्रैस” . उसने बताया कि इस तख्ती की वजह से रात-विरात कोई पुलीसवाला भी मुझें कही टोकता नही है.
उसने बताया कि एक बार वह 15 अगस्त को झन्डा फहराने का उत्सव देखने परिवार सहित स्टेडियम पहुंच गया. उस समय तक बहुत कम लोग ही वहां आए थे. स्टेडियम में “Press” के लिए लिखी जगह बैठ कर उन्होंने मजे से झन्डा फहराने की रस्म देखी.
15 अगस्त की दूसरी घटना में एक विद्यार्थी इम्तहान में Supplimentry से पास हुआ. उस रोज वह झन्डारोहण देखने स्टेडियम पहुंचा. वहां पहुंचकर वह जब मंच की तरफ के द्वार से अंदर घुसने लगा तो पुलीसवाले ने उसे रोका, और पूछा :- …..पास ?
….नही, सप्लीमेन्ट्री. उसने कहा. पुलीसवाला शायद कुछ समझा नही और उसने उसे अंदर नही जाने दिया और उधर जाने की कहा जहां आम जनता खडे रह कर झन्डारोहण देखती है. वहां खडे रह कर जो कुछ उसने देखा वह एक कवि के शब्दों में यों है :-
“दुरंगें नेता, तिरंगा ध्वज, गिरगिट बैठे है, सजधज.
अंग्रेज गए, रंगरेज रह गए, घूम रहे है बनाकर भेष, रंगारंग है हमारा देश.”
मंत्रीजी के भाषण के बाद उन्होंने नारें लगवाये जिसका जनता ने खूब साथ दिया. उस समय उसे एक कवि की निम्न पंक्तियां याद आगई
“भूखों को भाषण देती है, भरी बोरियां धानकी, जय बोलो हिन्दुस्तान की.”
आजादी का एक और नजारा देखिए. सरकारी चिकित्सा की लचर व्यवस्था की वजह से जगह जगह कुकरमुत्तें की तरह प्रायवेट क्लिनिक और टैस्टिंग लैब खुले हुए है. उनके विज्ञापनों का नमूना देखिए. एक जगह लिखा है “तुम मुझें खून दो, मैं शाम तक तुम्हें इसकी रिपोर्ट दे दूंगा.”
एक स्थान पर सडक पर बोर्ड लगा हुआ है जिस पर लिखा है
“यहां खुदा है, वहां खुदा है और जहां नही खुदा है, वहां अगले हफ्ते खोद दूंगा.”
भंवर लाल ठेकेदार.
कुछ झोला छाप फर्जी लोग चिकित्सक बनकर आजादी का किस तरह गलत इस्तैमाल कर रहे है इसकी कुछ मिशाल देखिये :-
1. शिव क्लिनिक
डा. विकास सिंह, B com. …….बरेली.
2. Emergency Clinic 3 डा. मुन्ना तिवारी
Dr. R. S. Chaudhry (Adocate) मरे हुए इंसान को जिन्दा किया जाता है
Lucknow. नरोडा रोड, अहमदाबाद.
कोरोना की मेहरबानी से आजादी के मतलब ही बदल गए है. अब अधिकांश घरों के बाहर एक पोस्टर चिपका हुआ है. लिखा है “आजादी मेरा जंम सिध्द अधिकार है लेकिन पत्नि के सामने नही”.
स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए यह लाजिमी है कि न केवल इसके चारों स्तम्भ – विधायिका, कार्य पालिका, न्यायपालिका एवं मीडिया – बल्कि आम जनता, कोई भी उसका दुरूपयोग न करें.
शिव शंकर गोयल