हालात जहां के सही नहीं
मुश्किल से मिली जब साफ़ हवा
तब मास्क पहनना है लाज़िम
जब खाली पड़ी हैं सड़कें सब
तो कहीं नहीं जा सकते हम
अब हाथ साफ भी हैं रखते
पर किसी से नहीं मिला सकते
अब वक्त की क़िल्लत/किल्लत* कोई नहीं
पर मिला कोई दोस्त नहीं
हम काम पर जाना चाहते हैं
कुछ कमा के लाना चाहते हैं
पर निकल नहीं सकते, जाने
हम खरचे कैसे चलाते हैं
वो भी हैं, जिनको कमी नहीं
पर खर्चा/खरचा करने जाएं कहां
हर तरफ हमारा दुश्मन है
लेकिन वो नजर नहीं आता
जाने वो कहां है छुपा हुआ
हम लडें तो उससे कैसे लडें
(*कमी)
राज़दान ‘राज़’
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