हौले-हौले से वीणा के तारों की संगत के लिए मन में झंकार उत्पन्न करके हीं मानती है उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ का काव्य-संग्रह “मै पंछी उन्मुक्त गगन की”
पुस्तक-परिचय
“मै पंछी उन्मुक्त गगन की” (काव्य-संग्रह)
लेखक : उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’
ई-मेल: urmilakmosalpuri@gmail.com
प्रकाशक: काव्य पब्लिकेशंस, अभिनव आर. एच.4 अवधपुरी, भोपाल 462002 (मध्य प्रदेश)
संस्करण: प्रथम 2020
मूल्य: 170/ रुपए
पृष्ठ: 157
सर्वप्रथम मै उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने अपनी प्रथम प्रकाशित पुस्तक काव्य संग्रह “मै पंछी उन्मुक्त गगन की” मुझे भेजी । पुस्तक को पढ़ते समय ऐसी जिज्ञासा हुई कि पूरी किताब को अनवरत पढ़ता चला गया । इसी कारण मन में ख्याल आया, क्यों न पुस्तक की समीक्षा कर लेखिका की हौसला अफजाई की जाए।
इस काव्य संग्रह में लेखिका की 92 रचनाएं हैं । ये सभी रचनाएं मन का बहुत स्नेह से स्पर्श करती हैं और फिर पढने वाले को अपना बना लेती हैं । पाठक प्रसन्न हो जाता है । उसे प्रसन्नता इस बात की भी होती है कि उसके कीमती समय की यात्रा कुछ बेशकीमती रचनाओं के साथ संपन्न हुई । इस पुस्तक में लेखिका का मानवीय संवेदनाओं के विकृत रूप के कारण दर्द झलकता है तो वहीं दूसरी और जीवन के प्रेम, प्यार की मधुर स्मृतियों से लेखिका खुद को रोमांचित महसूस करती है ।
“मै पंछी उन्मुक्त गगन की” जैसा कि इस पुस्तक का नाम है, उसी के अनुरूप इस पुस्तक का लेखन है । रोमांस से भरपूर इस किताब को पढ़ते हुए आप अपनी ज़िंदगी के किसी बीते हुए लम्हे में ज़रूर पहुंच जाते हैं और उन्हें याद करने लगते हैं, जो इस पुस्तक को सार्थक बना देता है । पुस्तक की लेखिका ने ख़ुद भी बताया है कि ये उनके अंदर की वह आवाज़ है, जिसे उन्होंने अपने कलम से कागजों में उकेरा है ।
उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ द्वारा इस पुस्तक में राज भाषा हिंदी के साथ साथ कुछ रचनाएं अपनी मातृ भाषा राजस्थानी में भी लिखी है । जो पाठको को मन मुग्ध कर देगी । उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ का यह काव्य संग्रह देश की संस्कृति, त्यौहार एवं सामाजिक मुद्दों से लेकर राजनेता एवं राजनीति पर भी ज्वलंत प्रकाश डालती है । इस पुस्तक में नारी, बेटियों की सुरक्षा से लेकर बचपन, प्लास्टिक के बढ़ते चलन एवं देश भक्ति से ओत-प्रोत यह पुस्तक सभी पाठको के मन माफिक, उनकी पसंद की कविताओं से परिपूर्ण है, जिसके कारण पाठक पुस्तक को पढ़ने का मोह बार बार रखता है ।
उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ से मेरा परिचय करीबन 6 वर्षो से सोशल मीडिया के माध्यम से है । मेरा उनसे मिलना कभी नहीं हुआ । इनकी हर रचना मैं पढ़ता रहा हूँ और लगभग हर रचना पर मैने अपनी बेबाक राय रखी हैं । उर्मी विभिन्न न्यूज़ पेपर, पत्रिकाओं में लिखती रही हैं । मुझे कई बार साहित्यकारों एवं कवि गोष्ठी के आयोजनो में बोलने एवं लिखने का सुनहरा मौका मिला है । तब मैने ऐसे आयोजनों में बोला था कि देश में छुपी प्रतिभाओ को आगे लाना ऐसे आयोजनों का उद्देश्य होना चाहिए । ऐसे आयोजनों पर आयोजकों को नई नई प्रतिभाओं को मौका प्रदान करना चाहिए । यह बात कई गुमनाम कवियों एवं साहित्यकारों के साथ-साथ उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी’ को भी जेहन में रख कर कही थी l मैने पिछले 6 वर्षो में उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी की कवितायेँ, कहानी एवं आलेख पढ़े हैं l
इस पुस्तक में उर्मिला के मोसलपुरी ‘उर्मी का काव्य संग्रह आधुनिक समय के अनुसार रोचकता, सहजता एवं रोमांस से गुंथा हुआ हैं l आधुनिकता के सन्दर्भ में यह रोमांस से भरपूर काव्य संग्रह “मै पंछी उन्मुक्त गगन की” युवा वर्ग के रग रग की धड़कन तेज कर देगा ।
अशोक लोढ़ा
नसीराबाद (राजस्थान)