परिस्थितियो की स्वीकार्यता

Dinesh Garg
मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? मुझे ही दु:ख क्यों मिल रहा है आदि ऐसे अनेक प्रश्रो से हमारा सामना होता है और हममे से प्राय: सभी ऐसे विचारो में उलझे रहते है जो हमारे लिए अंतत: निराशा का कारण बन जाते हैं। हमारा जीवन शॉपिंग मॉल जैसा नहीं है जिसमें जो चाहा वह अपने बास्केट में डालकर ले आए। वस्तुत: हमारा जीवन सांप सीढ़ी के समान है उसमें कब हमें ऊपर जाने का अवसर मिलेगा या उतर जाना होगा यह हम नहीं जान सकते। हमारे द्वारा कर्मो के फैंके गए पासे ही तय करते है कि अगला कदम क्या होगा, इसलिए हमेशा हमें परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखना होगा। एक उदाहरण द्वारा उसे समझ सकते है जब हम मोटरसाइकिल पर घर से बाहर कहीं जाने के लिए निकले और अचानक तेज वर्षा प्रारंभ हो गई तो क्या आपमें सामथ्र्य है कि आप वर्षा को रोक सकते है? नहंी ना हमें उन परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए अपना रेन कोट निकालकर अपने को बचाने का प्रयास करना होगा। ठीक इसी तरह किसी व्यक्ति के स्वभाव के कारण आपके मन को आहत हुआ हो तो आप उस समय क्या करेगें या तो परेशान होगेे या फिर कुछ समय के लिए शांत हो जाएंगे। एक उदाहरण और है कि आपका कोई नाम है उस पर आपकी पंसद नापसंद नहीं चलती हमें हमारा नाम स्वीकार करना ही होता है। कुछ लोग भले की नाम का मजाक उडाएं लेकिन आप कुछ नहीं कर सकते। ठीक आज की परिस्थितियों में यह बात लागू होती है जब हम वर्तमान को बदल नहीं सकते है तो हमें दु:खी होने के स्थान पर उसे स्वीकार कर उन परिस्थितियों से अपने आप को दूर करने का सार्थक प्रयास करना होगा अर्थात् कुछ समय के लिए ठहराव लाकर व पूर्ण सजगता के साथ जीवनयापन करना होगा। यह समस्या केवल आप पर ही लागू हो रही है ऐसा नहीं है यह तो संपूर्ण मानव जाति पर आया संकट है। समस्या विकट है लेकिन धैर्य व अनुशासन समय की मांग है। परिस्थितियां विकट हो तो हमें उनसे बाहर निकलने का मार्ग भी स्वयं को ही तय करना होगा। कुछ समय पहले हमारे द्वारा की गई कुछ भूलो का परिणाम संकट को भयावह कर चुका है ऐसे में भविष्य में यह ना धटे इसके प्रयास हम सभी को अपने अपने स्तर करने होगे। सरकार या चिकित्सा के पराधीन रहने के स्थान पर स्व:अनुशासन को अपना कर हम अपना व अपने परिजनो का भविष्य सुरक्षित कर सकते है। सतर्कता ही वर्तमान परिस्थितियों का एकमात्र विकल्प है। आइए आज से ही पुन: सकंल्पित हो जाएं। जीवन रहेगा तभी तो भविष्य देख पाएंगे।

DINESH K.GARG 9414004630
dineshkgarg.blogspot.com

error: Content is protected !!