सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। नववर्ष की शुरुआत मकर संक्रांति से होती है। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं, उनमें से 4 का महत्व है- मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति। वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ संक्रांति विष्णुपद संज्ञक हैं। मिथुन, कन्या, धनु, मीन संक्रांति को षडशीति संज्ञक कहा गया है। मेष, तुला को विषुव संक्रांति संज्ञक तथा कर्क, मकर संक्रांति को अयन संज्ञक कहा गया है। यह सौरमास प्राय: 30, 31 दिन का होता है। कभी-कभी 28 और 29 दिन का भी होता है।
उत्तरायन और दक्षिणायन सूर्य:-
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सूर्य जब धनु राशि से मकर में जाता है, तब उत्तरायन होता है। उत्तरायन के समय चन्द्रमास का पौष-माघ मास चल रहा होता है। सूर्य मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य दक्षिणायन होता है। सौरमास के अनुसार जब सूर्य उत्तरायन होता है, तब उत्सवों के दिन शुरू होते हैं और सूर्य जब दक्षिणायन होता है, तब व्रतों के दिन शुरू होते है। व्रत का समय 4 माह रहता है जिसे चातुर्मास कहते हैं। चातुर्मास में प्रथम श्रावण मास को सर्वोपरि माना गया है।
सौरमास के नाम:-
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मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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