*अब चला आंकड़ों का खेल*

-संक्रमितों का आंकड़ा घटने के केंद्र व राज्य सरकार करने लगी दावे
-कहीं ऐसा तो नहीं है कि गड़बड़ाई व्यवस्था से जांच में कमी आई हो
-संक्रमितों का ग्राफ गिरने की बात जमीनी हकीकत होती है तो डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ का शुक्रिया अदा करना चाहिए

प्रेम आनंदकर
👉अब यह खुशखबरी सुनाई देने लगी है कि देश और प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों में कमी आने लगी है। अगर वाकई ऐसा है तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन यह भी देख लिया जाए कि इसके पीछे सच्चाई कितनी है। केंद्र और राज्य सरकार के दावों के बीच यह सवाल मुंह बाएं खड़ा है कि क्या कोरोना से जंग जमीनी स्तर पर हुई है, जिससे संक्रमितों के आंकड़े घट रहे हैं या फिर गड़बड़ाई व्यवस्था से कोरोना जांच में कमी आई है। इस सवाल का जवाब तो सरकार देगी, लेकिन यह बात भी रोजाना सुनाई दे रही है कि लोग कोरोना की जांच कराने के लिए जाते तो हैं, लेकिन जांच की व्यवस्था नहीं होने के कारण लौट घर लौट आते हैं। ऐसे में लोग कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर प्राइवेट अस्पताल या क्लीनिक जाकर दवा ले आते हैं। कई लोग तबियत बिगड़ने पर सरकारी अस्पताल जाते हैं, तो वहां बेड खाली नहीं मिलते। सांस लेने में तकलीफ होने के कारण जीवन बचाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रुख कर लेते हैं। सरकार के पास सरकारी अस्पतालों में जाने वालों के तो आंकड़े होते हैं, लेकिन प्राइवेट अस्पताल में जाने वालों और वहां आखिरी सांस लेने वालों के आंकड़े नहीं होते हैं। एक सवाल यह भी है कि जब सरकार ही मरने वालों के आंकड़े कम बताती है, तो फिर प्राइवेट अस्पतालों से क्या अपेक्षा की जा सकती है। अभी तक यह बात भी समझ में नहीं आ रही है कि एक-दो दिन पहले तक कोरोना संक्रमितों का ग्राफ लगातार बढ़ने का राग अलापने वाली केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने आखिर ऐसा कौनसा करिश्मा कर दिया, जो एकदम से ग्राफ नीचे आने लग गया है। जबकि हकीकत यह है कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में अब भी ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसेंट्रटर की कमी बनी हुई है। रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व अन्य अस्पतालों से रेफर मरीजों को बड़े अस्पतालों में ना तो बेड मिल पा रहे हैं और ना पहुंचते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था हो पा रही है। इन सबके बावजूद आंकड़ों का अब यह खेल क्यों होने लगा है, समझ से परे है। कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा है कि सरकारी हुक्मरान आकंड़ों का “जोड़-भाग” कर रहे हों। सरकार आंकड़ों की जमीनी सच्चाई पता कर जनता के सामने जाहिर करे, तो बात गले उतर सकती है। इससे कोरोना संक्रमितों का ग्राफ गिरने की बात सही साबित होती है तो फिर हमारे लिए बहुत ज्यादा सुकून की बात होगी। फिर तो हमारे डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ, पैरा मेडिकल स्टाफ, वॉरियर्स आदि का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिनके अथक प्रयासों से ग्राफ गिर रहा है।

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।

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