भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में हुआ था। पुष्य नक्षत्र अन्तर्गत कर्क राशि अनुसार भगवान का नाम ‘हिरण्याभ’ सुनिश्चित हुआ। जिसे शास्त्रोक्त निर्देशानुसार प्रचारित नहीं किया गया। इस मान्यता के अनुसार जातक की जन्मराशि के अनुसार ही नाम का निर्धारण किया जाना चाहिए। जन्म के समय चन्द्र जिस राशि में स्थित होता है वही जातक की जन्मराशि होती है। नक्षत्र चरण अनुसार नामाक्षर का निर्धारण किया जाता है। इसी नामाक्षर से जातक का नामकरण किया जाना उचित है किन्तु जन्मनाम को प्रचारित किया जाना वैदिक परम्परा में निषिद्ध है।
अत: हमारे मतानुसार कोई अन्य नाम जो जातक की जन्मराशि व नामाक्षर से सम्बन्धित हो उसे प्रचलित नाम के रूप में रखा जाना उचित है। इससे जातक की राशि में परिवर्तन नहीं होता किन्तु यदि जन्मनाम व प्रचलित नाम की राशियां अलग-अलग हों तो ऐसी स्थिति में जन्मनाम से ही विवाह, मूहूर्त, साढ़ेसाती, ढैय्या, व गोचर इत्यादि का विचार किया जाना चाहिए।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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