भारतीय सेना की गोरव गाथा ——कारगिल युद्ध पार्ट 2

j k garg
पाकिस्तान की सेना और तथाकथित कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखापार करके भारत की जर ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। संघर्ष की प्रारम्भिक अवस्था में पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले उसके नियमित सैनिक नहीं हैं वरन वे सभी कश्मीरी उग्रवादी-जेहादी हैं | पाकिस्तान के इस सफेद झूट का शीघ्र ही पर्दाफाश हो गया क्योंकि युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों, हथियारों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।

कारगिल- द्रास सेक्टर में हुए संघर्ष में लगभग 30000 भारतीय सैनिकों ने भाग लिया वहीं पाकिस्तान के नियमित सैनिकों के अलावा करीब 5000 घुसपेठीयें ने भी पाक सैनकों की मदद की थी | भारतीय सेना ने इस लड़ाई में बोफोर्स तोपों का प्रयोग किया इन तोपों ने दुश्मनों पर कहर बरपा | भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के अंतर्गत कठिन भोगोलिक परिस्थतीयों के बावजूद थल सैनकों की सहायता की थी | भारतीय नोसेना ने ऑपरेशन तलवार के अंतर्गत पाकिस्तानी बंदरगाहओं विशेषतया कराची बंदरगाह की नाके बंदी कि जिससे पाक सैनकों को कोई मदद नहीं मिल सके | भारतीय नोसेना की उत्तरी एवं पश्चिमी फ्लीट ने उत्तरी अरब सागर के क्षेत्र में आक्रमक पेट्रोलिंग कर पाकिस्तान के समुद्रीय व्यापार के लिये गम्भीर चुनोती उत्पन्न कर उसके सामुद्रिक व्यापार को क्षति पहुचाई | इस लड़ाई में भारतीय सेना के तीनो अंग थल,वायु एवं नो सेना परस्पर अनुकरणीय समन्वय का परिचय दिया जिसके फलस्वरूप इस युद्ध में भी हमें विजयश्री प्राप्त हुयी |

प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग

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