रीट में पेपर लीक ने लील ली एक जिंदगी

_*👉परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, अब कौन करेगा भरण-पोषण*_
_*👉हलक से एक-एक पैसा वसूल कर पीड़ितों तक पहुंचाने की व्यवस्था करे सरकार*_
_*👉लुटेरों को ऐसी सजा मिले कि भविष्य में ऐसे धंधेबाजों को मिल जाए सबक*_

*✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट-2021) का पेपर लीक होने के मामले में आज दुखद खबर आई। टोंक जिले में नगरफोर्ट थानान्तर्गत रानीपुरा निवासी 27 वर्षीय लोकेश पुत्र लड्डूलाल मीणा ने अपने घर में रस्सी से लटक कर आत्महत्या कर ली। वह बूंदी जिले के नैनवां स्थित सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत था और वर्तमान में हिंडौली में डेपुटेशन पर नियुक्त था। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर प्रथम दृष्टया पाया कि मृतक लोकेश ने अपने परिचितों से रीट में पास कराने के लिए करीब 40 लाख रूपए ले रखे थे। इसमें से उसने 24 लाख रूपए बाड़मेर जिले के रणवा, चैहटन निवासी कैलाश विश्नोई और 16 लाख रूपए जयपुर निवासी देवराज गुर्जर को दिए थे।

प्रेम आनंदकर
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 306, 384, 406, 129बी, व 3(2)(चतुर्थ) एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घटना से लोकेश के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है और उसके सामने भरण-पोषण का संकट पैदा हो गया है। यह घटना साबित करती है कि रीट में पेपर लीक कराकर हजारों लोगों को पास कराने के लिए बड़ी गैंग काम कर रही थी। यह गैंग भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें बर्बादी के रास्ते पर ले जा रही थी। संभवतः लोकेश भी इसी गैंग के झांसे में फंसा और अपने परिचितों को नौकरी लगवाने के मकसद से उनसे लाखों रूपए लेकर गैंग तक पहुंचा दिए। अब चूंकि पेपर लीक मामले का पर्दाफाश हो गया, आरोपी एसओजी की पकड़ में आ गए और आ रहे हैं, ऐसे में लोकेश को दी गई रकम की वसूली होने की उम्मीद नजर नहीं आई। हो सकता है, मामला उजागर होने के बाद परिचितों ने लोकेश पर दी गई रकम लौटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया हो। ऐसे में उसने मौत को गले लगा लिया। लोकेश की मौत से यह आशंका जरूर बन गई है कि पता नहीं ऐसे कितने ही लोगों ने नौकरी लगने के लालच में लाखों रूपए लुटा दिए होंगे और अब वसूली की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही होगी। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पता नहीं ऐसे कितने लुटे-पिटे लोग मौत की राह चुन सकते हैं। वैसे तो नकल और पेपर लीक जैसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए विधानसभा में कठोर कानून बनाने के मकसद से विधेयक ला रही है। लेकिन सरकार को इसी कानून में यह भी प्रावधान करना चाहिए कि इस तरह के मामलों में पकड़े गए लोगों से एक-एक पैसा वसूल कर पीड़ितों तक पहुंचाया जाए, किंतु यह काम भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि जब तक पीड़ित सामने नहीं आएंगे, तब तक पीड़ितों के नाम-पते उजागर नहीं होंगे। वैसे तो रिश्वत लेने वाले के साथ-साथ रिश्वत देने वाला भी जिम्मेदार है, इसीलिए कई बार पीड़ित चाहकर भी सामने नहीं आते हैं। लेकिन सरकार को रीट मामले में पीड़ितों को विश्वास में लेने के लिए उनके नाम-पते गुप्त रखने का भरोसा दिलाते हुए शिकायतें लेनी चाहिए और आरोपियों से वसूली कर पीड़ितों को दिलाई जानी चाहिए। नए कानून में सरकार को इस तरह के मामलों में इतनी सख्त सजा का प्रावधान कर देना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे धंधे करने वाले लोगों को सबक मिल जाए और कभी भी इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ही नहीं होने पाए।

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