आदि काल से लाइफ मैनेजमेंट के सर्वश्रेष्ट गुरु भोले नाथ से जुड़े रोचक रहस्य पार्ट 1

dr. j k garg
भोलेनाथ जितने रहस्यमयी हैं उतनी ही उनकी वेश-भूषा भी अनूठी ही है इसी के साथ भोले शंकर से जुड़े तथ्य भी उतने ही विचित्र और अनोखे हैं। भोलेनाथ शिव जी श्मेंमाशन में निवास करते हैं, भोलेनाथ गले में नाग धारण करते हैं, भांग व धतूरा ग्रहण करते हैं। सनातन धर्मी फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 1 मार्च 2022 को शिवरात्रि धूमधाम से मनाएंगे |

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ? जनसाधारण के मन में सवाल उत्पन्न होता है कि क्यों फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है ? धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी । मध्य रात्रि में भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था । ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में भगवान शंकर लिंग के रूप में अवतरित हुए । चतुर्दशी तिथि के महानिशीथ काल में महेश्वर के निराकार ब्रह्म स्वरूप प्रतीक शिवलिंग का अविभार्व होने से भी यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है |इसी दिन, भगवान विष्णु व ब्रह्मा के समक्ष सबसे पहले शिव का अत्यंत प्रकाशवान स्वरूप प्रकट हुआ था । कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और आदिशक्ति का विवाह हुआ था। मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था।भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा के लिए स्वयं ही सारा विष पी लिया था। इससे उनका गला नीला पड़ गया और तभी से शिवजी को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।

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