dr. j k gargशिवजी के परिवार में जब बिच्छू , बैल और सिंह , मयूर एवंसर्प और चूहा जैसे घोर विरोधी स्वभाव के प्राणी भी प्रेमपूर्वक साथ साथप्रेमपूर्वक रहते हैं तो क्यों नहीं हम हमारे समाज एवं देश में बिना किसी भेदभावके गिरे हुओं को , पिछड़े हुओंको , विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को साथलेकर नहीं चल सकते हैं ? यह भी सत्यकि कुछ धर्मांधस्वार्थी पथभ्रष्ट तथाकथित धार्मिक इन्सान मौका मिलने पर अपने निज स्वार्थ के खातिर समाज मेंसांप्रदायिक सद्दभाव को नष्ट करने के अंदरशामिल हो जाते है | हम सभी आत्म चिंतन करें जब शिवजी केपरिवार में विरोधी स्वभाव के प्राणी भीप्रेमपूर्वक साथ साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं तो क्योंनहीं हम हमारे समाज एवं देश में बिना किसी भेदभाव के गिरे हुओं को , पिछड़े हुओंको , विभिन्नधर्मों के अनुयायियों को साथ लेकर चल सकते हैं ? यह भी सत्यकि कुछ धर्मांध स्वार्थी पथभ्रष्टतथाकथित धार्मिकमनुष्य मौका मिलनेपर अपने निज स्वार्थ के खातिर समाज मेंसांप्रदायिक सद्दभाव को नष्ट करने के अंदरशामिल हो जाते है | शिव रात्रीके पावन पर्व हम सभी सनातन धर्मी भारत वाशी संकल्प ले कि हम समाज के विभिन्नधर्मालंबी लोगों के साथ मिलजुल कर रहेंगे एकदुसरे का सम्मान करके प्रेम पूर्ण समंध बनायेगें | समाज केअंदर ऊँच नीच का भेदभाव मिटाने के लिये काम करेंगे |
आदिकाल के सर्व श्रेस्ष्ट मेनेजमेंट गुरु भोलेनाथ अपने परिवार के अंदर निवास करनेवाले विपरीत स्वभाव वाले प्राणी बिच्छू , बैल और सिंह , मयूर एवंसर्प और चूहा जैसे घोर विरोधी स्वभाव के प्राणियों के साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं तोहम विभिन्न धर्मों के अनुयायियों हिदू मुसलमान सिख ईसाई फ़ारसी जैन देशवासियों को साथ लेकर क्यों नहीं जीवन व्यापन कर सकते हैं ?
सही मायने में भगवान शिवकी सच्ची पूजा आराधना तभी होगी जब हम उनकी शिक्षाओं को जीवन के अंदर धारण करके मिलजुल कर प्रेमपूर्वक एक परिवारकी भातीं रहगें | ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय | डा. जे. के. गर्गपूर्व
संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर