dr. j k gargअपने आराध्य देव परमात्मा, सदगुरु का नित्य निमित रूप से पवित्र भावना केसाथ सिमरन या उपासना करने व्यक्ति निडर एवं भय मुक्त बन जाता है | परमात्मा,सदगुरु का नित्य सिमरन करने वाला ना तो अन्याय करता, है और ना हीअन्याय से डरता है | वह हानि-लाभ से भी भयभीत नहीं हो इसे प्रभु का प्रसाद मानकरस्वीकार करले विवेकशील और चतुर इन्सान बन जाता है | किन्तु ध्यान रक्खें कि यह तभी होगा जब प्रभुका सिमरन निर्मल एवं शुद्ध भावना से किया जावे ! ऐसे इंसान का ह्रदय कोमल सुगन्धित पुष्प की तरहअपने चारों तरफ प्यार और भक्ति की खुशबु फेला देता है और उसका मुखमंडल प्रफुल्लितरहता है | सिमरन करने वाले इन्सान को रात अधिकस्वप्न नहीं आते है इसके साथ साथ सुखमय नींद आती है | सिमरन करने वाले में स्वत ही अच्छाई एवं सेवा-भाव उत्पन्न हो जाता हैइसलिए किसी ने सही ही कहा है कि |सिमरनकरलो अभी से, कल को किसने देखा है,,!!* *नाम जप लो अभी से, कल को किसने देखा है |परमात्मा ने इंसान को बनाया है |