-जो देश को आतंकवाद, कट्टरवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, साम्प्रदायिकता, धार्मिक उन्माद, ऊंच-नीच, दलित-सवर्ण, गरीब-अमीर और सामाजिक विषमता जैसे हालात से मुक्ति दिला दे सकें
-आइए, स्वतंत्रता दिवस और आजादी के अमृत महोत्सव पर सभी विषमताओं को मिटाते हुए एक-दूसरे का हाथ थामे तिरंगे को शान से लहराएं
✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉देश को एक बार फिर से दुबली-पतली काया पर केवल धोती लपेटे और हाथ में लाठी थामे साबरमती के संत महात्मा गांधी, लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, डाॅ. भीमराव अंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, अबुल कलाम, बिपिनचंद्र पाल, लाला लाजपत राय, सुखदेव, भगतसिंह जैसे महापुरूषों, स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों और बलिदानियों की जरूरत है। ऐसे अनगिनत नाम हैं, जिनकी बदौलत भारत को आजादी मिली और आज हम अपने वतन में आजाद हैं। महापुरूषों और बलिदानियों ने ना जाने अंग्रेजों की कितनी यातनाएं सही होंगी, ना जाने कितने बलिदानी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए होंगे। ना जाने कितने ही लोग अंग्रेजों की गोलियों के शिकार होकर असमय मौत के मुंह में समा गए होंगे। इन सभी महापुरूषों, क्रांतिकारियों और बलिदानियों ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि उनके आजाद देश में कभी आतंकवाद, कट्टरवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, साम्प्रदायिकता, धार्मिक उन्माद, ऊंच-नीच, दलित-सवर्ण, गरीब-अमीर और सामाजिक विषमता जैसे हालात पैदा हो जाएंगे और भाई अपने ही भाई का दुश्मन हो जाएगा। हम भले ही किसी भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय या कौम से वास्ता रखते हों, लेकिन हम सभी इस भारत मां की संतान हैं। हमने भारत मां की माटी में जन्म लिया है। देश में जिस तरह के हालात पनपे हैं, वह हमें विनाश और पतन की ओर ले जाने के सिवाय कुछ भी नहीं हैं। भारत माता के सिर के ताज जम्मू-कश्मीर में हालांकि धारा 370 खत्म होने के बाद आतंकवाद पर कुछ अंकुश लगा है, लेकिन अभी भी वहां हालात बहुत ज्यादा अच्छे नहीं हैं। गाहे-बगाहे आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं। हमारे जवान मारे जाते हैं। छत्तीसगढ़ में भी नक्सली हिंसा होती है, जिसमें हमारे सीआरपीएफ के जवान शहीद होते हैं। धार्मिक उन्माद और कट्टरवाद काफी पनप गया है।