j k gargचिंता में सबसे पहले नींद चली जाती है | चिंता के शारीरिक प्रभाव अत्याधिक भयावह होते है क्योंकि चिंता से दिल का धड़कन तेज हो जाती, मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है |,तनाव,थकान उल्टी,मिचली,सीने में दर्द,पेट में दर्द या सिर दर्द शामिल हो सकते हैं, रक्तचाप और दिल की गति बढ़ जाती है,पसीना बढ़ जाता है,पाचन तंत्र खराब हो जाता है | स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि “चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का फर्क होता है “,अन्यथा दोनों समान हैं। चिंता वह आग है जो चिन्तन को जला डालती है | चिंता ही चिता बन जाती है | चिंता को सिर्फ चिन्ता के कारणों का नाश करके ही मिटाया जा सकता है | दरसल में हमको जितना मिलता है हम उससे ज्यादा की आस में थोडा और,थोडा और की रट लगा रहते हैं इसी सोच के कारण एक दिन हम अपने अपने सुख और शांति से भी हाथ धो बैठते हैं और चिंता के चक्रव्यूह में उलझते ही जाते हैं | जो आदमी कल के लिए चिंतित रहते हैं उनकी निर्णय क्षमता भी आशंकाओं के भय से प्रभावित होती ही है। इस तरह के लोग भविष्य की आशंकाओं से भयभीत होकर कोई भी निर्णय सही तरीके से नहीं ले पाते हैं। वे डरे और सहमे रहते हैं और उनके डर का असर उनके निर्णयों पर भी साफ दिखाई देता है। चिंता का जन्म लोभ से ही होता है। लोभ का आशय इच्छा से है और आज हर व्यक्ति किसी-न-किसी वस्तु की इच्छा,आकांक्षा या कामना अपने मन में पाले हुए है | वास्तविकता तो यही है कि चिंता संज्ञानात्मक,शारीरिक,भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषता वाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है | यह एक अप्रिय भाव से भयभीत हैं जो की साधारणतया बेचैनी,आशंका,डर और क्लेश से सम्बंधित हैं | देखा जाए तो चिंता भय से कुछ अलग है,भय किसी ज्ञात तथा अज्ञात खतरे के कारण उत्पन्न होता है वहीं, चिंता अनुभव किये गये अनियंत्रित या अपरिहार्य खतरों का परिणाम है | रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि यदि आप खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से किसी काम में व्यस्त रहते हैं,तो आपके पास चिंता के लिए फालतू समय नहीं बचेगा। प्रसिद्ध विचारक बीचर कहते थे कि व्यक्ति काम से नहीं मरता,बल्कि चिंता उसे मार डालती है।हर समय चिंता, बेचैनी, वास्तविक या काल्पनिक घटनाओं पर आधारित भविष्य का डर तन और मन, दोनों पर बुरा असर डालती है। थकान, सिरदर्द अनिद्रा या अत्याधिक् निद्रा एंग्जाइटी के प्रमुख लक्षण हैं। |एंग्जाइटी के लक्षण 6 महीने से अधिक समय तक बने रहें तो यह समस्या गंभीर हो जाती है और एंग्जाइटी डिसऑर्डर से आदमी ग्रस्त बन जाता है |एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण व्यक्ति विशेष के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन स्थायी डर और चिंता सभी में देखे जाते हैं। इससे रोजमर्रा का जीवन और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।