सम्पूर्ण विश्व को शान्ति का पाठ है पढ़ाया,
लोक कल्याण का जिन्होंने मार्ग अपनाया।
वीर अतिवीर सन्मति भी कहते है आपको,
अहिंसा परमोधर्म का सिद्धांत है अपनाया।।
बचपनें में नाम इनका वर्द्धमान राजकुमार,
जैनधर्म के २४ वें तीर्थकर स्वामी महावीर।
जन्म हुआ आपका ईसा से ५९९ वर्षो पूर्व,
चैत्र मास शुक्लपक्ष त्रयोदशी तिथि बिहार।।
त्याग और तपस्या में ही जीवन बीता दिया,
एक लंगोटी तक का परिग्रह इन्हें न किया।
हिंसा पशुबलि जाति-पाति के युग में जन्में,
स्वामी महावीर, बुद्ध अहिंसा प्रचार किया।।
सिद्धार्थ व त्रिशूला की आप तीसरी संतान,
संयम प्रेम करुणा व सदाचार जैसे विचार।
अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य पे दिया जोर,
अनेंक जगहों पे किया पवित्र संदेश प्रचार।।
कठोर तपोबल से इंद्रियों पर भी काबू पाएं,
और विजेता होकर यह महावीर नाम पाएं।
ख़ुद भी जिओ और दूसरों को भी जीने दो,
आओ इनके निर्वाण दिवस पे दीप जलाएं।।
सैनिक की कलम ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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