परिस्थितियां

Dinesh Garg
जीवन में समस्यायें व परिस्थितियां तो पल पल बदलती ही रहती है। परिस्थितियां यदि हमेशा समान रहे तो जीवन ऊबाऊ हो जाएगा। उदाहरण के लिए अधिक अर्थ प्राप्ति व सुख सुविधा प्राप्त हो जाएं तो शारीरिक कष्ट प्रारंभ हो जाएंगे। सूर्य का प्रकाश भी उतना ही आवश्यक है जितनी अंधकार में चंद्रमा की शीतलता। धूप नही निकलेगी तो खाद्य पदार्थ उत्पन्न नहीं हो पाएगे। परिस्थितियां जब विपरीत होती है तो मानसिक स्थिति भी बदलने लगती है लेकिन यहां रूके और स्मरण करे कि आज का दिन हमारे जीवन का एक अध्याय है, पूरे जीवन की क हानी नहीं है। जन्म लेने के पश्चात रगडते रगडते, ठोकर खाकर ही हम अपने पैरो पर खड़े हो पाए है। इसलिए कहना उचित होगा कठिन दिन होगे लेकिन वे हमेशा के लिए नहीं रहेगे। आवश्यकता है तो सिर्फ इतनी सी कि हम उन चीजो पर अपना ध्यान केन्द्रित करे जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते है। नियंत्रण से बाहर हो गई स्थिति को धैर्य के साथ स्वीकार करना प्रारंभ करे। तेज दौडऩे वाला धावक हमेशा अपनी लेन में ही दौड़ता है ऐसे ही हमें भी अपनी परिस्थितियों के साथ अपनी संभावनाओं के भीतर ही जीवन जीना चाहिए।
DINESH K.GARG ( POSITIVITY ENVOYER )
Leading jewellers,Editor & Founder Miracle life foundation
dineshkgarg.blogspot.com

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