क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि उस युवक के मन पर क्या बीती होगी, जो वायुसेना में विमान चालक बनने की न जाने कितनी सुखद आशाएं लेकर देहरादून गया था; पर परिणामों की सूची में उसका नाम नवें क्रमांक पर था, जबकि चयन केवल आठ का ही होना था।
विमान चालक के रूप में चयन मे असफल होने पर उन्होंने सोचा कि शायद खुदा मुझसे ज्यादा जरूरी काम करवाना चाहता है |
देहरादून आते समय केवल अपनी ही नहीं, तो अपने माता-पिता और बड़े भाई की आकांक्षाओं का मानसिक बोझ भी उस पर था, जिन्होंने अपनी अनेक आवश्यकताएं ताक पर रखकर उसे पढ़ाया था; पर उसके सपने धूल में मिल गये। निराशा के इन क्षणों में वह जा पहुंचा ऋषिकेश, जहां जगत कल्याणी मां गंगा की पवित्रता, पूज्य स्वामी शिवानन्द के सान्निध्य और श्रीमद्भगवद्गीता के संदेश ने उसे नये सिरे से कर्मपथ पर अग्रसर किया। उस समय किसे मालूम था कि नियति ने उसके साथ मजाक नहीं किया, अपितु उसके भाग्योदय के द्वार स्वयं अपने हाथों से खोल दिये हैं।
15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी (रामेश्वरम, तमिलनाडु) मंे जन्मा अबुल पाकिर जैनुल आबदीन अब्दुल कलाम नामक वह युवक भविष्य में ‘मिसाइल मैन’ के नाम से प्रख्यात हुआ। उनकी उपलब्धियों को देखकर अनेक विकसित और सम्पन्न देशों ने उन्हें मनचाहे वेतन पर अपने यहां बुलाना चाहा; पर उन्होंने देश में रहकर ही काम करने का व्रत लिया था। चार दशक तक उन्होंने ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ तथा ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में विभिन्न पदों पर काम किया। यही डा. कलाम 2002 ई. में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और अपनी सादगी के कारण ‘जनता के राष्ट्रपति’ कहलाये।
डा. कलाम की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे राष्ट्रपति बनने के बाद भी आडंबरों से दूर रहे। वे जहां भी जातेे, वहां छात्रों से अवश्य मिलते थे। वे उन्हें कुछ निरक्षरों को पढ़ाने तथा देशभक्त नागरिक बनने की शपथ दिलाते थे। उनकी आंखों में अपने घर, परिवार, जाति या प्रान्त की नहीं, अपितु सम्पूर्ण देश की उन्नति का सपना पलता था। वे 2020 ई. तक भारत को दुनिया के अग्रणी देशों की सूची में स्थान दिलाना चाहते थे। साहसी डा. कलाम ने युद्धक विमानों से लेकर खतरनाक पनडुब्बी तक में सैनिकों के साथ यात्रा की।
अब्दुल कलाम वे सभी धर्मों का आदर करते थे। वे अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर गये, तो श्रवणबेलगोला में भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक समारोह में भी शामिल हुए। उनकी आस्था कुरान के साथ गीता पर भी थी तथा वे प्रतिदिन उसका पाठ करते थे। उनके राष्ट्रपति काल में जब भी उनके परिजन दिल्ली आये, तब उनके भोजन, आवास, भ्रमण आदि का व्यय उन्होंने अपनी जेब से किया। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में होने वाली ‘इफ्तार पार्टी’ को बंदकर उस पैसे से भोजन सामग्री अनाथालयों में भिजवाई। उनके नेतृत्व में भारत ने पृथ्वी, अग्नि, आकाश जैसे प्रक्षेपास्त्रों का सफल परीक्षण किया, जिससे सेना की मारक क्षमता बढ़ी। भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाने का श्रेय भी डा. कलाम को ही है। शासन ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।
आजीवन अविवाहित रहे डा. कलाम अत्यधिक परिश्रमी और अनुशासन प्रेमी थे। वे कुछ वर्ष रक्षा मंत्री के सुरक्षा सलाहकार भी रहे। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद भी वे विश्वविद्यालयों में जाकर छात्रों से बात करते रहते थे। वे चाहते थे कि लोग उन्हें एक अध्यापक के रूप में याद रखें।
कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में कार्य करने लगे | 1969 में वे चले गये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन , जहां वे परियोजना निदेशक थे SLV-III , पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान जिसका डिजाइन और निर्माण दोनों भारत में हुआ था। 1982 में डी.आर.डी.ओ. में शामिल होने पर, कलाम ने ऐसे कार्यक्रम की योजना बनाई, जिसमें कई सफल मिसाइलों का निर्माण किया गया, जिससे उन्हें “मिसाइल मैन” उपनाम मिला। अग्नि में एक सफलता, भारत की पहली मध्य दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल थी, जिसमें एसएलवी-III के सिद्धांत को शामिल किया गया था और 1989 में लॉन्च किया गया था।
1992 से 1997 तक कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था \ बाद में वे 1999-2001 तक सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर कैबिनेट मंत्री के पद पर कार्यरत रहे। देश के 1998 के परमाणु हथियार में उनकी प्रमुख भूमिका ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में मजबूत किया और कलाम को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित किया |
1998 में कलाम ने एक देश भाईचारा योजना सामने रखी जिसका नाम थाटेक्नोलॉजी विजन 2020, जिसमें उन्होंने 20 वर्षों में भारत को कम विकसित से विकसित समाज में परिवर्तन का मार्ग बताया। योजना में उपायों के अलावा कृषि स्तर, अन्य आर्थिक विकास के माध्यम के रूप में जोर देने और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की आशा व्यक्त की थी | 2008 में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डीलर पर जब सरकार पर संकट था तब समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह आने अब्दुल कलाम की अनुसंशा पर सरकार के पक्ष में मतदान क्र सरकार बचाया था |
27 जुलाई, 2015 को शिलांग में छात्रों के बीच बोलते समय अचानक हुए भीषण हृदयाघात से उनका निधन हुआ। 30 जुलाई को उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम में ही दफनाया गया। 27 जुलाई 2023 को समूचा देश जन जन के दुलारे मिसाईल में को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है उनके सपनो के विकसित वैज्ञानिक सोच के भारत को निर्माण करने का संकल्प लेता है |
हम सभी कृतज्ञ भारतीय उनकी 8 वी पुण्यतिथि को विद्यार्थी दिवस के रूप में मना कर ,राष्ट्र आज उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है |
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर